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सूरत में ट्रेन को बेपटरी करने के षड्यंत्र में रेलकर्मी ही आरोपित, प्रमोशन के लिए दिया घटना को अंजाम

सूरत के कीम-कोसंबा के बीच कीम खाड़ी पर फीश पलेट खाेलकर रेलवे ट्रैक पर रखा गया था।

-सूरत के कीम-कोसंबा के बीच निकाली गई थीं फिश प्लेट

सूरत, 23 सितंबर (Udaipur Kiran) । गुजरात में सूरत के कीम-कोसंबा के बीच शनिवार को ट्रेन को बेपटरी करने की जिस साजिश को नाकाम कर दिया गया था, उस मामले में रेलवे का एक कर्मचारी ही षड्यंत्रकारी है। यह बड़ा खुलासा जांच एजेंसियों की गहन छानबीन में हुआ है।

आरोपित कर्मचारी ने अपनी सतर्कता दर्शाने और पदोन्नति हासिल करने के लिए इस घटना को अंजाम दिया। घटना की सर्वप्रथम जानकारी देने वाला यही कर्मचारी सुभाष पोद्दार ही था। पुलिस को शंका तब हुई, जब 71 पेडलॉक निकालने की घटना कुछ ही सीमित समय के अंदर की गई थी। सामान्य व्यक्ति के लिए इतने कम समय में 71 पेडलॉक निकालना मुमकिन नहीं था।

दरअसल, 21 सितम्बर को तड़के सूरत के कीम-कोसंबा के बीच बड़ी रेल दुर्घटना की साजिश को नाकाम कर दिया गया था। इस घटना में कीम खाड़ी पर 21 सितम्बर को तड़के अप लाइन पर रेलवे ट्रैक की 71 पेडलॉक (इलास्टिक रेल क्लिप) और 2 जोगस फिश प्लेट निकाल दी गई थीं। घटना की जानकारी होते ही स्टेशन मास्टर ने तत्काल ही ट्रेन को कोसंबा रेलवे स्टेशन पर रोकने की हिदायत दी। पेट्रोलिंग करने वाले सुभाष पोद्दार ने सबसे पहले घटना के संबंध में जानकारी दी थी। बाद में उसने जांच टीम को भी रेलवे ट्रैक के पास तीन लोगों की चहल-पहल की बात कहकर गुमराह करने की कोशिश की थी। घटना की गंभीरता को देखते हुए केन्द्रीय और स्थानीय सभी जांच एजेंसियों ने जांच शुरू की। गृह मंत्रालय की भी इस घटना पर नजर बनी हुई है। सूरत ग्रामीण पुलिस सूत्रों और रेलवे सूत्रों के अनुसार रेलवे की इस घटना काे सबसे पहले देखने वाला रेलकर्मी सुभाष पोद्दार ही था। अपनी सतर्कता दिखाकर प्रमोशन लेने के लिए आरोपित ने रेलवे ट्रैक की फिश प्लेट ही खोल दी। घटना की जानकारी मिलने से पहले तीन ट्रेन इसी ट्रैक से गुजर चुकी थीं लेकिन लोको पायलट को किसी तरह की संदिग्ध वस्तु ट्रैक पर दिखाई नहीं दी। अन्य किसी के फुट प्रिंट भी घटनास्थल पर नहीं मिले थे।

एनआईए भी कर रही थी जांच

रेलवे की इस गंभीर घटना की जांच में नेशनल इन्वेस्टिगेशन टीम (एनआईए) भी जुड़ गई थी। एनआईए को सबसे पहले शंका सुभाष पोद्दार पर ही हुई थी। इसकी बड़ी वजह थी कि 71 पेडलॉक कोई सामान्य व्यक्ति इतने कम समय में नहीं खोल सकता था। इस वजह से एनआईए को शंका थी कि सुभाष उन्हें गलत जानकारी दे रहा है। जानकारी के अनुसार रेलवे की ओर से एक्सीडेंट एवर्टेड अवार्ड दिया जाता है। रेलवे की दुर्घटना को रोकने से सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि मिलने के साथ ही रेलवे की ओर से खूब वाहवाही और इनाम भी मिलता है। बताया जा रहा है कि इसी प्रलोभन में सुभाष पोद्दार ने इस घटना को अंजाम दिया।

फिलहाल, एटीएस और एनआईए इस घटना की जांच कर रही हैं। सूरत एलसीबी और एसओजी ने जिले से तीन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ किया है। पुलिस अधीक्षक हितेश जोयसर के अनुसार 140 पुलिसकर्मियों की टीम बनाकर जांच की जा रही है। ड्रोन की भी मदद ली गई है। आरोपित तकनीकी जानकार है। आरोपित ने रेलवे के साधन तोड़ने के बजाय उन्हें निकाल दिया। रेलवे अधिकारी के अनुसार 71 पेडलॉक खोलने में लगभग दो घंटे का समय लगता है। इसलिए यह शंका है कि यह एक के बाद एक करके खोला गया होगा। इस दौरान कुछ ट्रेन इस ट्रैक से गुजरी होंगी। षडयंत्र की सबसे महत्वपूर्ण प्लेट सुबह 5.20 बजे खोली गई, जिसके बाद उसे पटरी पर रखा गया था।

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(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय

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