छतरपुर, 21 सितंबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय मंत्री और टीकमगढ़ से सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक के सांसद प्रतिनिधियों की नियुक्तियों को लेकर हो रहे विवाद को शांत करने के लिए संगठन को दखल देना पड़ा है। 18 सितंबर को प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने छतरपुर की विधायक ललिता यादव और पूर्व मंत्री मानवेंद्र सिंह को भोपाल तलब किया और उन्हें नसीहत दी कि वे सार्वजनिक बयानबाजी न करें।
दरअसल, टीकमगढ़ के ज्यादातर विधायकों ने सांसद प्रतिनिधियों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आरोप लगाए हैं कि सांसद प्रतिनिधि हर काम में दखल दे रहे हैं। इनमें से कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोग हैं। ऐसे लोगों को भी सांसद प्रतिनिधि बनाया है जिन्होंने विधानसभा चुनाव में बीजेपी का विरोध किया था। ये कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के समर्थक हैं, बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे। वहीं इसे लेकर सांसद वीरेंद्र खटीक कह चुके हैं कि आरोप लगाने वालों को कोई रोक नहीं सकता, लेकिन मैं उन्हें खुली चुनौती देता हूं, एक आरोप सिद्ध करके बता दें, मैं हर तरह की सजा भुगतने को तैयार हूं।
संगठन ने भले ही विधायकों को सार्वजनिक बयानबाजी न करने की नसीहत दी हो मगर ये मामला अभी ठंडा नहीं हुआ है। इस विवाद की असली वजह क्या है, आखिर 132 प्रतिनिधि क्यों बनाए, इसके पीछे क्या राजनीति है और क्या वाकई में ये कांग्रेस के एजेंट है ये जानने के लिए टीकमगढ़ पहुंचकर सभी पक्षों से बात की। 14 सितंबर को छतरपुर में भाजपा विधायक कामाख्या प्रताप सिंह के पिता व पूर्व मंत्री मानवेंद्र सिंह और भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के जिला मंत्री लाल दीवान अहिरवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने सांसद प्रतिनिधि लोकेंद्र सिंह को लेकर आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपराधी है, जिस पर मर्डर जैसे केस दर्ज हैं, सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है, बूथ कैप्चरिंग और खनन के आरोप हैं, ऐसे युवक को सांसद ने अपना प्रतिनिधि बनाकर रखा है। ऐसे अपराधियों को अगर केंद्रीय मंत्री संरक्षण देंगे तो क्षेत्र में अपराध बढ़ेंगे। साथ ही मानवेंद्र ने कहा कि लोकेंद्र सिंह सरकारी योजनाओं के साथ स्थानीय विधायक के काम में दखल अंदाजी करता है। पूर्व मंत्री मानवेंद्र सिंह के इन आरोपों का छतरपुर से बीजेपी विधायक ललिता यादव ने भी समर्थन किया। यादव ने कहा. सांसद ने ऐसे लोगों को अपना प्रतिनिधि बनाया है, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा के विरोध में काम किया और पोलिंग बूथ पर बतौर कांग्रेसी एजेंट मौजूद रहे। ललिता यादव ने यह भी कहा कि सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार का अपनी लोकसभा क्षेत्र के किसी भी विधायक के साथ सामंजस्य नहीं है। इस वजह से सभी विधायक उनसे परेशान हैं। इधर, केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक ने मानवेंद्र सिंह का नाम लिए बगैर कहा. आरोप लगाने वालों को कोई रोक नहीं सकता, लेकिन मैं उन्हें खुली चुनौती देता हूं, एक आरोप सिद्ध करके बता दें, मैं हर तरह की सजा भुगतने तैयार हूं। केंद्रीय मंत्री से मीडिया ने आरोपों को लेकर सवाल किया था। केंद्रीय मंत्री ने कहा. एक व्यक्ति को तकलीफ केवल इसलिए हो रही है क्योंकि वो वहां जो अवैध कारोबार कर रहे थे, मैंने उन्हें रोका है। इस वजह से ये अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। मैं केवल उनको नहीं, उनके पूरे खानदान को चुनौती देता हूं, कि पूरा खानदान और उनके जितने रिश्तेदार हैं एक आरोप सिद्ध करके बता दें। टीकमगढ़ के पूर्व विधायक राकेश गिरि केंद्रीय मंत्री खटीक का खुलकर विरोध कर रहे हैं। गिरि कहते हैं कि मैं केंद्रीय मंत्री का पिछले 4 चुनावों से पूरा सपोर्ट कर रहा हूं। जब लोकसभा चुनाव थे तब मेरा एक्सीडेंट हो गया था। उसके बाद भी मैं प्रचार में जुटा रहा। मुझे तकलीफ उस वक्त हुई जब सांसद ने ऐसे लोगों को प्रतिनिधि बना दिया, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में मेरा विरोध किया था। जब मैंने ये बात प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताई तो उसके बाद से मुझे धमकियां मिल रही हैं। राकेश गिरि से पूछा गया कि सांसद प्रतिनिधि पहले कांग्रेसी थे, इसके क्या सबूत है। तब उन्होंने कुछ तस्वीरें दीं। पहली तस्वीर जनपद पंचायत के सांसद प्रतिनिधि जीतेंद्र सेन की थी जो टीकमगढ़ से कांग्रेस के मौजूदा विधायक यादवेंद्र सिंह बुंदेला के साथ नजर आ रहे हैं। बुंदेला ने राकेश गिरि को ही चुनाव में हराया है। गिरि ने कहा कि पूरे चुनाव के दौरान जीतेंद्र सेन ने कांग्रेस विधायक का साथ दिया था।
दूसरी तस्वीर बताते हुए बोले कि ये सांसद प्रतिनिधि अंशुल खरे हैं जो कांग्रेस जिला अध्यक्ष प्रकाश सिंह दांगी और पृथ्वीपुर से कांग्रेस के पूर्व विधायक स्वर्गीय बृजेंद्र सिंह राठौर के साथ है। गिरि ने एक और तस्वीर बताई, जिसमें सांसद प्रतिनिधि अमित चतुर्वेदी कांग्रेस से नगरपालिका अध्यक्ष अब्दुल गफ्फार के साथ नजर आ रहे हैं। चतुर्वेदी लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। विरोध करने वाले नेताओं में खरगापुर से पूर्व विधायक और उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी भी हैं। राहुल लोधी ने कहा कि मेरी खरगापुर विधानसभा में भी ऐसे कई सांसद प्रतिनिधि हैं जो विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस में थे। लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी में शामिल हुए। ऐसे भी कई हैं जिन्होंने बीजेपी में रहते हुए कांग्रेस के लिए काम किया। सांसद वीरेन्द्र कुमार ने उन्हें प्रतिनिधि बना दिया। इससे बीजेपी का समर्पित कार्यकर्ता दुखी हैं। टीकमगढ़ लोकसभा में आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें से 5 सीटों पर बीजेपी के तो 3 पर कांग्रेस के विधायक चुनाव जीते हैं। बीजेपी के 5 में से दो विधायक तो खुलकर विरोध कर रहे हैं। बिजावर से विधायक राजेश शुक्ला चुप हैं। बाकी बचे दो विधायक दबे छिपे तरीके से विरोध कर रहे हैं।
इनमें से एक विधायक ने कहा कि मेरी विधानसभा में भी सांसद ने ऐसे 4 लोगों को सांसद प्रतिनिधि बनाया है जो बीजेपी विरोधी रहे हैं। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गए हैं, लेकिन अभी भी कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं। कई घोटालों में शामिल रहे हैं। ये भी आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव में उन्होंने मुझे हराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। उनका हर कामों में हस्तक्षेप है। सांसद ने ऐसे लोगों को प्रतिनिधि बनाया जो हमारे विरोधी रहे हैं। ये लोग हमारे कामों में अड़ंगा डाल रहे हैं। विधायक ने ऐसे 7 सांसद प्रतिनिधियों की लिस्ट भी दी, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। जेल विभाग के प्रतिनिधि आनंद कुशवाहा कहते हैं कि चंद लोगों की दुकानें चल रही थीं, इसलिए वो विरोध कर रहे हैं। कुशवाहा कहते हैं कि जहां तक कांग्रेस के एजेंटों के आरोप हैं तो मैं बीजेपी में नगर मंत्री के पद पर रह चुका हूं।लोकसभा चुनाव में काम किया, सदस्यता अभियान में सक्रियता से काम कर रहा हूं। ये सही है कि लोकसभा से पहले मैं पार्टी से अलग हुआ था क्योंकि नगर पालिका चुनाव में मैंने वार्ड 25 से टिकट मांगा था। बाद में फिर पार्टी जॉइन की। आदिम जाति कल्याण विभाग से सांसद प्रतिनिधि रामप्रसाद यादव ने कहा, मेरी पत्नी छतरपुर से जनपद उपाध्यक्ष हैं। मैं समाज सेवा करता हूं। किसी गरीब का कोई भी डॉक्यूमेंट से रिलेटेड काम होता है मैं उसे पूरा कराने में मदद करता हूं। इसी बात से प्रभावित होकर सांसद ने मुझे प्रतिनिधि बनाया है। लोकसभा चुनाव से पहले ही मैंने बीजेपी जॉइन की है। मैंने कांग्रेस को इसलिए छोड़ा क्योंकि जनपद की तरफ से मेरी पत्नी के क्षेत्र के विकास कामों का पैसा रोका जा रहा था। वहीं स्वास्थ्य विभाग के सांसद प्रतिनिधि सुमित उपाध्याय बोले कि मुझे दो महीने पहले सांसद प्रतिनिधि बनाया गया है। डॉ. वीरेन्द्र खटीक बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं। वे जानते हैं कि कौन व्यक्ति उनके लिए काम कर रहा है कौन नहीं कर रहा। उन्होंने अपने हिसाब से प्रतिनिधि बनाए हैं। जहां तक आपराधिक पृष्ठभूमि से आए लोगों को सांसद प्रतिनिधि बनाने के आरोप लग रहे हैं, ये गलत है। कौन अपराधी है, कौन नहीं ये देखना पुलिस का काम है। ये भी हो सकता है कि सांसद को इस बात की जानकारी नहीं होगी। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के सांसद प्रतिनिधि रवि त्रिपाठी कहते हैं कि मुझे कांग्रेस का एजेंट बताया जा रहा है, लेकिन मेरे डीएनए में बीजेपी है। साल 2007 में एबीवीपी से जुड़ा। 2011 में युवा मोर्चा का अध्यक्ष रहा। ये बात सही है कि 2023 में मैंने व्यक्तिगत कारण से बीजेपी छोड़ थी। मैं जिस नेता के साथ काम कर रहा था उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने वाला था, मगर नहीं मिला। मैंने कांग्रेस छोड़ दी और फिर बीजेपी में आ गया। एक मौजूदा सांसद ने बताया कि एक सांसद अलग.अलग विभागों में अपने 30 से 40 प्रतिनिधि बनाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक लोकसभा क्षेत्र 2 से 3 जिलों तक फैला होता है। 8 विधानसभा होती हैं। सांसद हर जगह नहीं पहुंच सकता इसलिए अलग.अलग जगहों और डिपार्टमेंट के लिए सांसद प्रतिनिधि बनाता है। आमतौर पर पूर्व पदाधिकारियों, वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को ही सांसद प्रतिनिधि बनाया जाता है। कांग्रेस के समय में सांसद 200.300 सांसद प्रतिनिधि बना देते थे। सांसद ने कहा . कई बार ऐसा भी होता है कि पिछले कार्यकाल के सांसद प्रतिनिधि अभी भी अपनी गाड़ी में सांसद प्रतिनिधि लिखवाकर घूमते हैं। मैंने ही अपने लोकसभा क्षेत्र में पुराने सांसद प्रतिनिधियों को शिथिल करने के लिए कलेक्टर को लेटर दिया था। नए सांसद प्रतिनिधियों का फाइनल लेटर भी कलेक्टर कार्यालय से जारी होता है।
(Udaipur Kiran) / सौरव भटनागर