डीसी चंदन कुमार ने बड़े घोटाले के तरफ किया इशारा
रामगढ़, 21 सितंबर (Udaipur Kiran) । झारखंड राज्य खाद्य निगम का आठ करोड़ रुपया गटकने वाला सहायक गोदाम प्रबंधक अधिकारियों के निर्देशों का अनुपालन करने को तैयार नहीं है। रामगढ़ के रांची रोड, मरार स्थित गोदाम के प्रभारी संजीव करमाली को 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण का जवाब देने को कहा गया था। लेकिन संजीव करमाली ने ना तो अधिकारियों के सुनी और ना ही उनका जवाब देना ही उचित समझा। शनिवार को डीसी चंदन कुमार ने बताया कि यह अनाज घोटाला सिर्फ पांच-छह सालों का नहीं है। बल्कि इससे पहले भी यह घोटाला होने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले की जांच की जाएगी। डीसी ने यह भी कहा कि घोटाला करने वाले किसी भी स्तर के अधिकारी या कर्मचारी क्यों ना हो, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी तय है। उन्होंने बताया कि इस अनाज घोटाले की जांच बेहद गंभीरता से की जा रही है। डीसी ने बताया कि वर्तमान समय से वर्ष 2019 के फरवरी महीने तक की जांच की जा चुकी है। जिसमें 14600 क्विंटल खाद्यान्न गायब पाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि लगभग आठ करोड़ों रुपए के इस घोटाले में अगर कोई अधिकारी की संलिप्तता भी सामने आएगी तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होगी।
घंटों फोन करते रहे अधिकारी, लेकिन हाजिर नहीं हुआ संजीव
मरार स्थित झारखंड राज्य खाद्य निगम गोदाम के प्रभारी सहायक गोदाम प्रबंधक संजीव करमाली की चमड़ी काफी मोटी है। 18 सितंबर को जब गोदाम सील किया गया था, तब भी संजीव करमाली वहां काफी देर से पहुंचा था। जब गोदाम का औचक निरीक्षण हुआ उस दौरान संजीव करमाली को उपस्थित होने के लिए जिला आपूर्ति पदाधिकारी, प्रभारी प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी और कर्मचारियों ने दर्जनों बार फोन किया, लेकिन ना तो संजीव करमाली वहां पहुंचा और ना ही उसने कोई दस्तावेज प्रस्तुत किए।
घंटों इंतजार करने के बाद जब संजीव करमाली वहां आया तो उसके हाथ पूरी तरीके से खाली थे। उसके हाथ में ना तो कोई रजिस्टर मौजूद था और ना ही कोई दस्तावेज के बारे में उसे कोई जानकारी थी। जब विभाग द्वारा दिए गए रजिस्टर की मांग की गई तो उसने उसे घर पर होने की बात कही। काफी देर की मशक्कत के बाद जांच अधिकारियों को स्टॉक की जानकारी मिली और पता चला कि यहां तो बड़ा गड़बड़ घोटाला है। पिछले 6 वर्षों में ना तो किसी रजिस्टर को अपडेट किया गया है और ना ही सरकारी दस्तावेज पर किसी के हस्ताक्षर हैं। वहां कई ऐसे फर्जी रजिस्टर मिले जिस पर एंट्री की गई थी। इसका मतलब साफ है कि संजीव करमाली के द्वारा अनाज की कालाबाजारी की जा रही थी। जिसका कोई सरकारी रिकार्ड मौजूद ही नहीं है।
संजीव करमाली को पत्र प्राप्ति के 24 घंटे के अंदर अपने स्पष्टीकरण देने का आदेश जारी किया गया था। संजीव करमाली शनिवार को समाहरणालय परिसर तो पहुंचा लेकिन उसने कोई जवाब जिला आपूर्ति पदाधिकारी के कार्यालय में नहीं दिया। अब अधिकारी उसके खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर चुके हैं। उम्मीद है कि सोमवार को जब दफ्तर खुलेगा तो संजीव करमाली के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत खाद्यान्न कालाबाजारी करने, सरकारी दस्तावेज को छुपाने आदि के आरोप में प्राथमिक की दर्ज हो
सकती है।
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(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश