Uttar Pradesh

सामाजिक एकजुटता के बिना मिलती रहेगी राष्ट्रीय एकता को चुनौती : मुख्यमंत्री

राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 10वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह*
राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 10वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह*
राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 10वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह*
राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 10वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह*
राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 10वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह*
राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 10वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह*
राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 10वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह*
राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 10वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह*
राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 10वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह*

गोरखपुर, 21 सितंबर (Udaipur Kiran) । गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जातीय विभेद, छुआछूत, अश्पृश्यता के चलते जबतक सामाजिक एकजुटता का अभाव रहेगा, तबतक राष्ट्रीय एकता को चुनौती मिलती रहेगी। यही कारण है कि भारत की मार्गदर्शक संत परंपरा ने समाज को जोड़ने का संदेश दिया है। हमें बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्र से सतर्क होकर और एकजुट होकर देश और समाज हित के लिए काम करना होगा।

मुख्यमंत्री योगी युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन शनिवार (आश्विन कृष्ण चतुर्थी) को महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि संतों की पुण्यतिथि पर आयोजन से उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के स्मरण से नई प्रेरणा मिलती है।

सहज लोगों के लिए वात्सल्य और धर्म विरोधियों के लिए वज्र जैसे कठोर थे महंत अवेद्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गुरुदेव अवेद्यनाथ महाराज के साथ सेवा के अनेक प्रकल्पों से जुड़कर काम करने का सौभाग्य मुझे मिला। वे मूलतः धर्माचार्य थे। उनमें वात्सल्य भाव था। वह मार्गदर्शक और सच्चे समाज सुधारक थे। सहज और सरल लोगों के लिए वह वात्सल्य स्वरूप थे तो धर्म विरोधी आचरण करने वालों की प्रति वज्र जैसे कठोर। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि समाज और जीवन का ऐसा कोई पक्ष नहीं जिसे गोरक्षपीठ ने आगे न बढ़ाया हो। पीठ की परंपरा जोड़ने की रही है। पीठ ने इतिहास के अलग-अलग कालखंडों में उन कारणों को समझने के लिए प्रेरित किया जिनकी वजह से देश को गुलाम होना पड़ा। यह पीठ इसलिए भी समाज की एकजुटता की बात करती है कि जब भी समाज में जाति की खाई को चौड़ा करने का प्रयास किया गया, तब-तब इसका दुष्परिणाम देश को लंबे समय तक गुलामी के रूप में भुगतना पड़ा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी गुलामी की मानसिकता इतनी हावी रही कि तत्कालीन नेतृत्व देश की सही दिशा नहीं तय कर पाया। अनेक बलिदानियों के सर्वस्व बलिदान से हासिल स्वतंत्रता के बाद भी देश को सही दिशा न मिलने से संतों में आक्रोश था।

आज सही दिशा में बढ़ रहा है भारत

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भारत सही दिशा में बढ़ रहा है। गत दस वर्षों में भारत की प्रगति, सर्वांगीण विकास की रूपरेखा उत्साहित करने वाली है। इस परिस्थिति में हम सबका दायित्व है कि हम बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्र से बचें। उन्होंने कहा कि संत परंपरा सामाजिक एकजुटता की पोषक है। गुरु गोरखनाथ से लेकर आदि शंकर, स्वामी रामानंद, स्वामी रामानुजाचार्य सबके संदेश का प्राथमिक भाव यही है, जाति-पांति पूछै नहीं कोई, हरि को भजै सो हरि का होई।

मुख्यमंत्री ने अपने दादागुरु दिग्विजयनाथ और गुरुदेव अवेद्यनाथ का स्मरण करते हुए कहा कि महंतद्वय ने जो कहा वह करके भी दिखाया। जो बोला वह किया और जो किया वही बोला। दोनों गुरुजनों ने सामाजिक एकता के लिए समरसता के अभियान को नई ऊंचाई दी। शिक्षा, चिकित्सा और सेवा के अनेक प्रकल्पों को आगे बढ़ाया। गोसेवा और गोरक्षा के संकल्प को पूर्णता की राह दिखाई। वे बिना रुके, बिना थके, बिना डिगे आजीवन देश और धर्म के लिए समर्पित रहे। दोनों ने सदैव देश और धर्म को प्राथमिकता दी।

श्रद्धांजलि समारोह में रोहतक हरियाणा से पधारे और राजस्थान के विधायक महंत बालकनाथ ने महंत द्वय को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि दोनों ही महापुरुष आज भी अपने विचारों, आदर्शों और अपने कार्यों के रूप में हमारे बीच विद्यमान हैं।

कौशलेश सदन, अयोध्या धाम से आए जगद्‌गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य जी महाराज विद्याभाष्कर ने ब्रह्मलीन महंतद्वय के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि गोरक्षपीठ शिक्षा को संस्कृति और राष्ट्रीयता के आलोक में लाकर पीढ़ियों के भविष्य निर्माण से अहर्निश जुड़ी है। इसमें इस पीठ के पूज्य संतों का महत्वपूर्ण योगदान है।

काशी से पधारे कथाव्यास श्रीमदजगदगुरु अनंतानंद द्वाराचार्य काशीपीठाधीश्वर स्वामी डॉ. रामकमल दास वेदांती ने कहा कि संत के लिए राजनीति भी लोक कल्याण का मार्ग है। इनके अलावा अयोध्याधाम से पधारे स्वामी रामदिनेशाचार्य, जगद्‌गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य जी महाराज, दुग्धेश्वरनाथ मंदिर गाजियाबाद से पधारे स्वामी नारायण गिरी, केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री कमलेश पासवान, प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और सांसद रवि किशन ने अपनी वाणी के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

सबसे पहले पूरे महानगर की तरफ से महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव ने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को शाब्दिक भावों से श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम को मदन मोहन मालवीय प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी सैनी, महायोगी गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक अजय, कुशीनगर के सांसद विजय दूबे, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय, विधायक विपिन सिंह, महेंद्रपाल सिंह, भाजपा के महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने भी संबोधित किया।

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(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय

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