हिन्दी भाषा विचारों के आदान प्रदान का माध्यम : न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी
-भारतीय भाषा अभियान के तत्वावधान में जनता को न्याय जनता की भाषा में संगोष्ठी का हुआ आयोजन
-हिन्दी में काम करने वाले 17 अधिवक्ताओं को किया गया सम्मानित
प्रयागराज, 19 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ गौतम चौधरी ने कहा कि हिन्दी को आगे बढ़ाने के लिए हमें रूढ़ियों को तोड़ना होगा। हिन्दी में काम करने में कोई बाधा नहीं है सिर्फ इच्छा शक्ति का ही अभाव है। हम गुलामी की मानसिकता से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। आज भी हमारे समाज में अंग्रेजी पढ़ने बोलने वालों को ज्यादा शिक्षित समझा जाता है। जबकि चीन जापान जैसे दुनिया के तमाम दूसरे देशों में अपनी भाषा में पढ़ने बोलने को प्राथमिकता दी जाती है।
न्यायमूर्ति डॉ गौतम चौधरी गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के लाइब्रेरी हाल में भारतीय भाषा अभियान द्वारा जनता को न्याय जनता की भाषा में विषय पर आयोजित संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। हिन्दी में अब तक 21 हज़ार से अधिक निर्णय दे चुके न्यायमूर्ति डॉ गौतम चौधरी ने कहा कि हिन्दी को अपनाने के लिए हमने मन से प्रयास नहीं किया है। उन्होंने कहा कि आज स्थिति यह है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 50 से 60 प्रतिशत अधिवक्ता हिन्दी में बहस करते हैं, हिन्दी में याचिकाएं दाखिल हो रही हैं। उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं है कि हम कठिन हिन्दी का प्रयोग करें, लोगों को समझ में आने वाली आसान भाषा का प्रयोग करने की आवश्यकता है। बहुत से शब्द दुनिया की तमाम भाषाओं से आत्मसात किए जाते रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब मैं विधि का छात्र था उस समय भी अधिकांश छात्र हिन्दी में ही कानून की पढ़ाई करते थे।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दी को लेकर इतने सारे आयोजन हो रहे हैं, इससे हमें यह सोचना पड़ता है कि क्या हमें मातृभाषा को भी बचाने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि एक हज़ार वर्षों से हमारी भाषा को नष्ट करने की तमाम कोशिश हुई। मगर हम इसे बचाए रखने में सफल रहे हैं। इसलिए हिन्दी के विलुप्त होने की सम्भावना नहीं है। उन्होंने कहा कि न्यायालय में हिन्दी के प्रयोग में कोई बाधा नहीं है। बहुत सारे वकील हिन्दी में याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं। हिन्दी में बहस करते हैं और न्यायमूर्ति भी हिन्दी में निर्णय दे रहे हैं। इसके साथ ही वादकारियों को हिन्दी की अनुवादित प्रति भी उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि हिन्दी का उदय संस्कृत से हुआ है। संस्कृत का आज भले ही हम उपयोग नहीं कर रहे हैं। मगर यह पूरी दुनिया स्वीकार कर चुकी है कि संसार की सबसे वैज्ञानिक भाषा संस्कृत है। पश्चिम के देशों में इस पर शोध हो रहे हैं। उन्होंने कहा हिन्दी का किसी से विरोध नहीं है।
न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने कहा कि भाषा उन्नति का आधार है। जब भाषा व्यवसाय से जुड़ेगी तभी उसकी उन्नति होगी। उन्होंने कहा कि हमें अंग्रेजी के प्रयोग के लिए बाध्य किया गया तभी हमने इसे सीखा। इसी प्रकार अगर संस्कृत के प्रयोग की बाध्यता होगी तो हम इसे भी सीखेंगे। उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश के न्यायालयों में हिन्दी में काम करने में कोई कठिनाई नहीं है। इसलिए हिन्दी सुगम हो रही है।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल तिवारी ने कहा कि दुनिया के बहुत से देश में लोग अंग्रेजी तो जानते हैं मगर प्रयोग अपनी भाषा का करते हैं। उन्होंने कहा अपनी संस्कृति पर गर्व करने का पहला चरण है अपनी भाषा का उपयोग करना। अनिल तिवारी ने हिन्दी में कानून के पुस्तकों के अभाव की बात भी उठाई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार ने बताया कि 1977 में हिन्दी में दाखिल एक याचिका में आए निर्णय के बाद उच्च न्यायालय में हिन्दी में बहस करने और याचिकाएं दाखिल करने को मान्यता प्राप्त हुई। भारतीय भाषा अभियान काशी प्रांत के संयोजक और बार के पूर्व उपाध्यक्ष अजय कुमार मिश्रा जयहिंद ने अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के क्षेत्रीय सम्पर्क प्रमुख डॉ पूर्णेंदु मिश्र विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में मौजूद थे। भारतीय भाषा अभियान द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में हिन्दी में काम करने के लिए अधिवक्ता सर्वेश कुमार मिश्रा, सुधीर कुमार सिंह, सुधीर कुमार श्रीवास्तव, अरविंद कुमार सिंह, विक्रांत, नीरज, अनिल कुमार सिंह, रवीश कुमार सिंह, अखिलेश सिंह, राकेश कुमार, साधना सिंह, अमिताभ त्रिपाठी, चंद्रकेश मिश्रा, उग्रसेन कुमार पांडे, प्रशांत सिंह सोम, अरविंद कुमार तिवारी, संजय कुमार पाठक और वीरेंद्र सिंह को प्रशस्ति पत्र देकर मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी न्यायमूर्ति डॉ गौतम चौधरी और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने सम्मानित किया।
भारतीय भाषा अभियान काशी प्रांत के संयोजक अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए शिक्षा संस्कृति न्यास द्वारा चलाए जा रहे भारतीय भाषा अभियान को प्रदेश के कोने-कोने में ले जाया जाएगा। ताकि न्यायालयों में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा मिले और वादकारियों को उनकी भाषा में न्याय मिल सके। कार्यक्रम में हाईकोर्ट बार के उपाध्यक्ष अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी, अधिवक्ता मनीष द्विवेदी, मुनेश कुमार उपाध्याय, सत्येंद्र नाथ तिवारी, सुरेंद्र नाथ मिश्र, प्रदीप कुमार जैसवार, आशुतोष कुमार पांडे, भूपेंद्र कुमार यादव, दिनेश राय सहित दर्जनों अधिवक्ता उपस्थित थे। संचालन डॉ प्रभाकर त्रिपाठी ने किया।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे