जम्मू, 19 सितम्बर हि.स.। केन्द्रीय मंत्री व जम्मू-कश्मीर के प्रभारी जी किशन रेडडी ने कहा कि राहुल गांधी और उनसे पहले के प्रधानमंत्रियों की तीन पीढ़ियाँ जानती थीं कि जम्मू-कश्मीर में 18,000 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन की जबरदस्त क्षमता है। ऐसा क्यों है कि इसका कभी उचित उपयोग नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि जहाँ राज्य सरकार ने आज़ादी के बाद से सिर्फ़ 1,197 मेगावाट बिजली जोड़ी है वहीं मोदी सरकार 2025-26 तक 3,014 मेगावाट क्षमता और जोड़ने जा रही है।
वित्त वर्ष 2023-24 में जम्मू-कश्मीर सरकार को जम्मू-कश्मीर पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के माध्यम से बिजली खरीद पर लगभग 9500 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
जम्मू और कश्मीर का बिजली घाटा वर्ष 2018-19 के दौरान 17.8ः से घटकर वर्ष 2023-24 के दौरान 7.5ः हो गया है।
राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर में सिर्फ एक चुनावी टूरिस्ट हैं। चुनाव के दौरान वह खटाखट झूठ बोलते हैं और बिना किसी ज्ञान व तथ्य के बकवास करते हैं। इतना ही नहीं लोगों में भ्रम फेलाना, झूठे वादे करना और लालच देना, तुष्टीकरण की राजनीति करना, भोली-भाली जनता को बरगलाना राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की पॉलिसी है। उनके इन झूठे वादों और भ्रम से जनता का और देश का विकास बाधित हो रहा है। मगर सत्ता भोग-विलास की चाह इतनी है कि यह लोग कुछ भी करेंगे। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अमेरिका के डलास टेक्सस यूनिवर्सिटी में जिस प्रकार से भारत की संस्कृति, सभ्यता, सनातन धर्म और आरएसएस जैसे राष्ट्रवादी संगठन के खिलाफ बोला है, वह भी बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण है।
जम्मू-कश्मीर की उनकी हालिया यात्रा इस मूर्खतापूर्ण व्यवहार को और अधिक प्रमाणित करती है। राहुल गांधी ने एक चुनावी रैली में कहा कि जम्मू-कश्मीर देश के बाकी हिस्सों को बिजली मुहैया करा रहा है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के निवासी देश के बाकी हिस्सों से ज़्यादा बिजली का भुगतान कर रहे हैं। यह वह झूठ है जिनका खंडन किया जाना चाहिए, क्योंकि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयां करती है।
राहुल गांधी और उनसे पहले के प्रधानमंत्रियों की तीन पीढ़ियाँ जानती थीं कि जम्मू-कश्मीर में 18000 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन की जबरदस्त क्षमता है। ऐसा क्यों है कि इसका कभी दोहन नहीं किया गया। अतीत में विभिन्न सरकारों, खासकर केंद्र में कांग्रेस और राज्य में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी की अनदेखी के कारण पिछले 70 वर्षों में इस क्षमता का केवल 3,400 मेगावाट ही उपयोग किया जा सका, जिसमें से राज्य ने केवल 1197 मेगावाट बिजली जोड़ी है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में, जम्मू-कश्मीर सरकार को राज्य में उपभोक्ताओं, वाणिज्यिक इकाइयों और उद्योग की बिजली की मांग को पूरा करने के लिए जम्मू और कश्मीर पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (श्रज्ञच्ब्स्) के माध्यम से बिजली खरीद पर लगभग 9500 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े। भारत सरकार का मानना है कि राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जाना चाहिए और इसलिए जम्मू और कश्मीर का बिजली घाटा वर्ष 2018-19 के दौरान 17.8ः से घटकर वर्ष 2023-24 के दौरान 7.5ः हो गया है। यह राज्य के बाहर से बिजली खरीदकर किया गया था।
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(Udaipur Kiran) / राधा पंडिता