– हिन्दी कर्मशाला में देशभर के अनेक राज्यों से जुटे प्रतिनिधि
– शैक्षिक समाजवाद के क्षेत्र में वैल्हम गर्ल्स स्कूल की अनूठी पहल
देहरादून, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । ज्ञान को समाज में व्यापक रूप से प्रसारित करने के लिए वैल्हम गर्ल्स स्कूल देहरादून सदैव ही प्रतिबद्ध रहा है। वैल्हम गर्ल्स स्कूल ने सदैव शिक्षा के माध्यम से समाज को जोड़ने में विशेष भूमिका निभाई है। ज्ञान-संवृद्धि की इस अनूठी पहल के अन्तर्गत बोर्डिंग स्कूल एसोसिएशन ऑफ इण्डिया एवं वैल्हम गर्ल्स स्कूल देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को हिन्दी पखवाड़े के अवसर पर हिन्दी भाषा के उन्नयन के लिए हिन्दी कर्मशाला का आयोजन स्कूल सभागार में किया गया।
कार्यशाला के मार्गदर्शक प्रसिद्ध व्याकरणाचार्य, भाषा विज्ञानी एवं मीडिया अध्ययन विशेषज्ञ आचार्य पं. पृथ्वीनाथ पांडेय ने सम्यक रूप से समस्त हिन्दी अध्यापक-अध्यापिकावृन्द का शैक्षणिक मार्गदर्शन किया। कार्यशाला का मुख्य विषय सर्जनात्मक पठन-पाठन-वाचन एवं लेखनकला में हिन्दी का महत्त्व रहा। कार्यशाला में बोर्डिंग स्कूल एसोसिएशन ऑफ इण्डिया तथा शासकीय सस्थानों के 55 प्रबुद्ध हिन्दी शिक्षकों ने सहभागिता की। इस राष्ट्रीय शैक्षणिक आयोजन में अनेक राज्यों से प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।
इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्या विभा कपूर ने सभी अभ्यागतवृन्द का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि ‘वैल्हम गर्ल्स स्कूल सदैव इस बात में विश्वास रखता है कि शिक्षा के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में सरकार और निजी क्षेत्र एक साथ मिलकर देश व भाषा के उत्थान के लिए सामूहिक प्रयास कर रहे हैं। यह कार्यशाला इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि इस कर्मशाला के लिए किसी भी प्रकार का पंजीकरण शुल्क नहीं रखा गया क्योंकि विद्यालय का सौभाग्य है कि वे ऐसी कार्यशाला आयोजित करने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें हम सभी मिलकर हिन्दी-भाषा के स्तर को और भी अधिक ऊंचा उठा सकेंगे।
कार्यशाला में बोर्डिंग स्कूल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रशिक्षण प्रमुख विनय पाण्डेय, बोर्डिंग स्कूल एसोसिएशन ऑफ इंडिया से जुड़े विद्यालयों के हिन्दी शिक्षक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड के प्रबुद्धजन, डीआईईटी के मुख्य प्रवक्ता एवं विभिन्न सरकारी शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि तथा अन्य हिन्दी शिक्षक उपस्थित थे।
कार्यशाला में आचार्य ने अध्ययन-अध्यापन में भाषा के शुद्ध मौखिक और लिखित रूप की अनिवार्यता पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने शब्दों और वाक्यों के शुद्ध प्रयोग प्रशिक्षणार्थियों को बताए, जो प्रायः सामान्य जीवन और शैक्षणिक कार्य में प्रयुक्त होते हैं। कार्यशाला के अंत में विद्यालय की प्रधानाचार्या ने धन्यवाद ज्ञापन सहित मार्गदर्शक आचार्य पृथ्वीनाथ पाण्डेय को स्मृति चिन्ह देते हुए उनका सम्मान किया और सभी सहभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए।
(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण