प्रयागराज, 18 सितम्बर (Udaipur Kiran) । श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती महाराज ने ब्रह्मलीन स्वामी शान्तानंद सरस्वती महाकक्ष में चातुर्मास अनुष्ठान के समापन समारोह में आह्वान किया कि भारत राष्ट्र को विश्वगुरू बनाने के लिए भारतीय संत महात्माओं, विद्वानों एवं वैज्ञानिकों को सनातन वैदिक धर्मग्रन्थों में लिखे गये विज्ञान का विश्व में प्रचार करना होगा। तभी भारत जगद्गुरू बन सकता है।
बुधवार को श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर प्रवक्ता ओंकार नाथ त्रिपाठी ने बताया कि इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज के विश्व में कुछ भी नया नहीं है। सृष्टि, सूर्य, चन्द्रमा, कालगति, वायुयान आदि सहित सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का ज्ञान भारतीय राष्ट्रीय सनातन धर्म द्वारा मानवता को दी गई महत्वपूर्ण भेंट है। वर्तमान पीढ़ी को इसे संभाल कर संरक्षित रखते हुए विश्व में प्रचारित-प्रसारित करना होगा।
प्रयागराज में चतुर्मास अनुष्ठान कर रहे शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती महाराज ने सर्वप्रथम पूज्य भगवान आदि शंकराचार्य मंदिर में प्रभु हनुमान जी, राधा माधव एवं अन्य देवी-देवताओं की पूजा आरती कर प्रसाद वितरित किया। इसके बाद गौ-पूजन कर उन्हें भोग अर्पित कर चातुर्मास की पूर्णता पर सीमोल्लंघन कार्य सम्पन्न किया।
कार्यक्रम में ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य संस्कृत विद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य पं. शिवार्चन उपाध्याय, दंडी स्वामी विनोदानंद सरस्वती, आचार्य विपिन मिश्र, आचार्य अभिषेक, आचार्य मनीष मिश्रा सहित पंजाब, हरियाणा, उत्तराखण्ड, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए श्रद्धालु भक्तों ने उक्त अवसर पर शंकराचार्य का आशीर्वाद लिया।
(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र