जम्मू,, 17 सितंबर (Udaipur Kiran) । ऊंची पवर्तीय श्रंखलाओं में सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक साहसिक कदम उठाते हुए भारतीय सेना ने फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सहयोग से बहुप्रतीक्षित हिम-ड्रोन-ए-थॉन 2 का आयोजन किया। इस अग्रणी पहल का उद्देश्य अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीक की शक्ति का दोहन करना है, जो आत्मनिर्भर भारत के दायरे में ड्रोन के उपयोग के माध्यम से सबसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में परिचालन दक्षता और सामरिक श्रेष्ठता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है। यूक्रेन और इजराइल में हाल के संघर्षों में देखा गया है कि ड्रोन आधुनिक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। निगरानी, रसद, सटीक हमले, संचार आदि को शामिल करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में भूमिकाएँ बढ़ रही हैं। उनकी बढ़ती भूमिका उनकी बहुमुखी प्रतिभा, प्रभावशीलता और सैन्य अभियानों को बदलने की क्षमता को दर्शाती है। लद्दाख के लुभावने वारी ला दर्रे के बैकशॉप में 15,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर आयोजित, हिम-ड्रोन-ए-थॉन 2 ने 20 से अधिक ड्रोन निर्माताओं को उच्च ऊंचाई वाले अनुप्रयोगों के लिए डिजाइन किए गए ड्रोन समाधानों की एक श्रृंखला का प्रदर्शन करने के लिए एक विशेष मंच प्रदान किया। ये उत्पाद निगरानी, लॉजिस्टिक्स, लोइटरिंग म्यूनिशन, स्वार्म और एफपीवी (फर्स्ट-पर्सन व्यू) संचालन के डोमेन में फैले हुए थे। लद्दाख के चरम इलाके ने इन प्रणालियों के प्रदर्शन और वैश्विक प्रयोज्यता को मान्य करने के लिए एक प्रामाणिक परीक्षण मंच प्रदान किया, जिससे भारत के लिए वैश्विक ड्रोन उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने के द्वार खुल गए। सभी प्रतिभागियों को उनके नवाचारों और भागीदारी के लिए सम्मानित किया गया।
(Udaipur Kiran) / अश्वनी गुप्ता