मंडी, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । 21वीं सदी के गैजेट या आर्टफिशल इंटेवलजेंस चाहे कितना भी आनंद और व्यवस्था प्रदान करें, कोई भी चीज़ वास्तव में मानव संचार की जगह नहीं ले सकती। भाषा एवं संस्कति विभाग हिमाचल प्रदेश व संकल्प रंगमंडल शिमला द्वारा संस्कृति सदन कांगणीधार ऑडिटोरियम मंडी में क्रोएशियाई नाटक द डॉल का मंचन किया गया। इस नाटक का मूल आलेख अंतरष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नाटककार मीरो गावरान ने लिखा है, जबकि इसका नाट्य रूपांतरण सौरभ श्रीवास्तव ने किया है।
रिश्ते कभी आसान नहीं रहे, हज़ारों साल पहले एक आदमी को एक औरत के बारे में जो बात भ्रमित करती थी, वह आज भी करती है।। महिलाएं सदियों से पुरुषों के कुछ विशेष लक्षणों के बारे में शिकायत करती रही हैं। दुनिया ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी, जीव विज्ञान और चिकित्सा में विकास के मामले में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है लेकिन कोई भी तकनीक एक पुरुष और एक महिला के बीच के जटिल रिश्ते को हल नहीं कर सकती है। नाटक द डॉल एक आदमी और एक औरत के बीच इसी जटिल रिश्ते से संबंधित है।
क्रोएशियाई लेखक मिरो गाबन के प्रसिद्ध नाटक पर आधारित द डॉल प्रकृति के इन दो अत्यंत महत्वपूर्ण घटकों के मन: स्थिति पर प्रकाश डालता है। पुरस्कार विजेता क्रोएशियाई नाटककार मिरो गावरन ने कनेक्शन की हमारी आवश्यकता की इस मार्मिक और चंचल खोज को लिखा है। नाटक में जब रुद्र की पे्रमिका छह साल बाद उसे छोड़ देती है तो वह अकेलेपन से उकता कर अपने साथी के रूप में आर्टिफिशल इंटेलीजेंस मेंं बिलकुल नवीनतम एक एंड्रॉइड डॉल का परीक्षण करने का मौका पाने के लिए साइनअप करता है। सुंदर, स्मार्ट और एक आदर्श पार्टनर, डॉल एक आदर्श समाधान है। जिस क्षण से वह उसकी जिंदगी में आती है। माया, द डॉल उसे सिखाती रहती है कि कृत्रिम बुद्धि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की अपार सुविधाओं के बावजुद भी मनुष्य एक वास्तविक साथी के साथ न होने से जीवन में कितना अकेला है।
क्रोएशिया के प्रमुख नाटककारों में से एक की यह चंचल कॉमेडी हमें दिखाती है कि हमारे 21वीं सदी के गेजेट चाहे कितना भीआनंद और व्यवस्था प्रदान करें, कोई भी चीज़ वास्तव में मानव संचार की जगह नहीं ले सकती। नाटक द डॉल एक 39 वर्षीय व्यक्ति की कहानी है। जिसकी प्रेमिका छह साल के लिव इन रिश्ते के बाद उसे छोड़ देती है । क्योंकि वहअपनी शादी और बच्चे के प्रति उसकी अनिच्छा के कारण उसे छोड़ देती है। अकेला रह जाने पर वह अकेलापन सहन नहीं कर पाता और कुछ महीनों के बाद एक महिला एंड्राइड डॉल के साथ रहना शुरू कर देता है, जिसे आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से पुरुषों को खुश करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और एकदम नवीनतम एंड्रॉइड है। लेकिन एंड्रॉइड का निर्माण एक महिला वैज्ञानिक द्वारा किया गया था, जिसने एंड्रॉइड को पुरुष महिला संबंधों पर अपने कुछ विचार दिए ताकि इस अकेले आदमी और डॉल द्वारा झेली गई चंचल और हास्यसपद स्थितियों के माध्यम से दर्शकों को सार दिखाई दे।
महिलाओं के प्रति गलत व्यवहार और आज के पुरुषों द्वारा उनके बारे में गलत समझ एक डॉल के साथ रहते हुए आदमी को धीरे-धीरे उन गलतियों का एहसास हुआ उसकी प्रेमिका ने उसे छोड़ दिया था। इस नाटक का पहला प्रीमियर जून 2012 में न्यूयार्क, यूएसए में स्टोरफ्रंट और बेंच प्रोडक्शंस में किया गया था। अग्रेजी, जर्मन, पोलिश, चेक, स्लोबेनियाई, रूसी, स्लोवाक, डोनिश, डच, स्पेनिश और अल्चानियाई में अनुवादित। यह नाटक संयुक्त राज्य अमेरिका, क्रोशिया, स्लोवाकिया, चेक गणराज्य, स्लोवेनिया, डेनमार्क, क्यूबा, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया के 15 थिएटरों में प्रदर्शित किया गया है और अब ये भारत में भी हो रहा है जिसे उतर आधुनिक नाटक के शैली में किया जा रहा है।
इस नाटक में मुख्य भूमिका में रूपेश भीमटा ने निभाई है। जबकि माया द डॉल की मुख्य भूमिका येशवी भारद्वाज ने निभाई और मुख्य धारा के व्यवसायिक रंगमंच में यह इनका पहला ही नाटक है जो पूर्णतया चुनौती पूर्ण है। संगीत रोहित कंवल ने दिया जबकि सेट डिजाइन दीपिका राय, रोहित सिंह परमार व कषि राय ने दिया। मंच प्रबंधन राखी का था जबकि मंच के पीछे प्रचार-प्रसार में अनुभवी अभिनेता नरेश के मिचा का विशेष योगदान रहा। नाटक का निर्देशन प्रख्यात नाट्य निर्देशक एवं राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी के उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा राष्ट्रीय अकादमी अर्वाडी केदार ठाकुर ने किया। भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश के संयुक्त त्वाधान में प्रदेश की अग्रणी सांस्कृतिक संस्था संकल्प रंगमंडल शिमला द्वारा विश्व प्रसिद्ध क्रोएशियाई नाटक द डॉल का 28वां वल्र्ड प्रीमियर हिमाचल प्रदेश के छह जिलों के प्रेक्षागृहों तथा ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में किया गया है।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा