अपने बच्चों को साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 के बारे में भी जागरूक करें
सिरसा, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । पुलिस अधीक्षक डबवाली दीप्ति गर्ग ने अभिभावकों को सलाह दी है कि वे अपने बच्चों को साइबर क्राइम के प्रति जागरूक करे। साथ ही कहा कि हम सब यह सुनिश्चित करना चाहते है कि हमारा बच्चा साइबर अपराध का शिकार न बने । इसके लिए हमें बच्चों की निगरानी करनी पड़ेगी । निगरानी की कमी खतरनाक साबित हो सकती है ।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि हम अक्सर बच्चों को माता-पिता के उपकरणों के साथ-साथ संवेदनशील व्यक्तिगत वित्तीय डेटा तक माता-पिता की निगरानी के बिना एक्सेस करते देखते हैं । अपने माता-पिता के फोन तक पहुंच बेहद खतरनाक है क्योंकि बच्चे इंटरनेट पर हिंसक या आपत्तिजनक सामग्री के संपर्क में आ सकते हैं । अगर बच्चे अपने माता पिता की जानकारी के बिना उनकी ऑनलाइन बैंकिंग सुविधाओं का उपयोग कर ऑनलाइन शॉपिंग करते है तो कानूनी रूप से यह एक अपराध है ।
साइबर अपराध कंप्यूटर नेटवर्क, कंप्यूटर संसाधनों या समग्र रूप से डिजिटल संचार उपकरणों की मदद से किए गए अपराध हैं । जबकि बच्चे इस तरह के अपराधों के लिए सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं वे किशोर अपराधियों में भी बदल सकते हैं यदि उन्हें उचित रूप से संवेदनशील नहीं बनाया गया है । कुछ ऐसे भी ऑनलाइन गेम है जो बच्चों को आत्महत्या तक के लिए प्रोत्साहित करते है । बच्चे ऑनलाइन गेम के दिखाए जाने वाले दृश्य व संचार आधारित मीडिया द्वारा दिखाई जाने वाली हर चीज सीखते है जबकि ये ऑनलाइन गेम उम्र प्रतिबंधों के साथ आते है परंतु देखने की बात यह है कि इनकी निगरानी कौन करता है ।
बच्चे अपने सोशल मीडिया या मैसेजिंग सेवाओं के माध्यम से बिना निगरानी और पर्यवेक्षण के इंटरनेट का उपयोग करते है और वे इंटरनेट के माध्यम से अजनबियों के संपर्क में रहते है। इंटरनेट के युग में स्कूल में भी इंटरनेट आधारित असाइनमेंट दिए जाते हैं। कई बच्चे अनजाने में मैसेजिंग साइट्स के जरिए अपने दोस्तों के साथ पर्सनल फोटो या सेल्फी शेयर करते हैं लेकिन ये छिपा हुआ उत्पीड़न हैं । अभिभावक ये कभी नहीं जान पाते कि सामग्री प्राप्त करने वाले बच्चे की अनुपस्थिति में कौन उसका फोन का उपयोग कर सकता है ।
(Udaipur Kiran) / रमेश डाबर