नई दिल्ली, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । भारत के नैदानिक अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने चरण-1 क्लिनिकल परीक्षणों के अपने नेटवर्क के तहत कई प्रायोजकों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओए) को औपचारिक रूप दिया है। ये समझौते चार आशाजनक अणुओं के लिए प्रथम-इन-ह्यूमन क्लिनिकल परीक्षणों में से एक हैं। इनमें ऑरिजीन ऑन्कोलॉजी लिमिटेड के साथ मल्टीपल मायलोमा के लिए एक छोटे अणु पर सहयोगात्मक अनुसंधान, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड के साथ जीका वैक्सीन विकास के लिए साझेदारी, मायनवैक्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस वैक्सीन परीक्षण का समन्वय और एक नए संकेत के लिए सीएआर-टी सेल थेरेपी उन्नति अध्ययन शामिल है। यह पहल भारत को फार्मास्युटिकल एजेंटों के नैदानिक विकास में अग्रणी के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने आईसीएमआर और प्रमुख उद्योग तथा शैक्षणिक भागीदारों के बीच रणनीतिक सहयोग की सराहना की और इसे सभी नागरिकों के लिए किफायती और सुलभ अत्याधुनिक उपचार की खोज में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल भारत को स्वास्थ्य सेवा नवाचार में वैश्विक नेता के रूप में उभरने की स्थिति में लाती है।
स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने परियोजना की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर देते हुए कहा कि यह सहयोग रणनीतिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से भारत में नैदानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। चरण- 1 क्लिनिकल परीक्षण बुनियादी ढांचे की स्थापना स्वदेशी अणुओं और अत्याधुनिक उपचारों के विकास को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण घटक है। हमारा लक्ष्य इस नेटवर्क का और विस्तार करना है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भारत नवीन और किफायती स्वास्थ्य देखभाल समाधानों के विकास में अग्रणी बना रहे।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी