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राष्ट्रीय शिक्षा नीति किसी सरकार की नहीं, बल्कि देश के लिए : उपराष्ट्रपति धनखड़

राष्ट्रीय शिक्षा नीति किसी सरकार की नहीं, बल्कि देश के विकास —जगदीप धनखड़

अजमेर, 13 सितम्बर (Udaipur Kiran) । भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति किसी सरकार की नहीं, बल्कि देश के विकास के लिए होती है इसे हमें पूरी निष्ठा के साथ लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद हमारा लक्ष्य है, हमें सदैव अपनी जिम्मेदारियोंं को याद रखना चाहिए।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शुक्रवार को अजमेर और नागौर यात्रा पर पहुंचे। इस दौरान किशनगढ़ स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय में उनका जोरदार स्वागत किया गया। उपराष्ट्रपति के साथ उनकी पत्नी सुदेश धनखड़ भी मौजूद रहीं। स्वागत के बाद उपराष्ट्रपति ने पौधरोपण किया और फिर विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जहां विद्यार्थियों और शिक्षकों से संवाद किया। धनखड़ ने ‘विकसित भारत 2047 में उच्च शिक्षा की भूमिका’ पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति किसी सरकार की नहीं, बल्कि देश के विकास के लिए है और इसे हमें पूरी निष्ठा के साथ लागू करना चाहिए।

उन्होंने विद्यार्थियों से राष्ट्रवाद की भावना को सर्वोपरि रखने का आह्वान करते हुए कहा कि अगर हमारे भारत को कोई सुई भी चुभती है तो 140 करोड़ लोगों को दर्द होता है। धनखड़ ने नाम लिए बिना राहुल गांधी के अमेरिका दौरे के दौरान हालिया बयानों पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ भटके हुए लोग भारतीय संविधान की शपथ के बाद भी राष्ट्रवाद से दूर हैं। हमारा लक्ष्य है राष्ट्रवाद और हमें अपनी जिम्मेदारियों को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उदाहरण देते हुए कहा, जब कोई भारतीय देश से बाहर जाता है, तो वह देश का राजदूत बनकर जाता है। शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे समाज में बदलाव लाया जा सकता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा के बिना विकसित भारत का सपना मुमकिन नहीं। हमें रोजाना कुछ नया सीखना चाहिए और अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने रोजगार के विभिन्न साधनों की भी चर्चा की और कहा कि केवल सरकारी नौकरियां ही रोजगार का जरिया नहीं हैं, आज कई अन्य विकल्प भी उपलब्ध हैं। कार्यक्रम के अंत में धनखड़ ने विश्वविद्यालय के कुलपति से आग्रह किया कि वे विद्यार्थियों को दिल्ली आने का निमंत्रण दें, ताकि वे संसद, भारत मंडपम और प्रधानमंत्री संग्रहालय का दौरा कर सकें। अपने संबोधन के बाद उपराष्ट्रपति ने स्थानीय सरपंचों और ग्रामीणों से भी मुलाकात की और उन्हें दिल्ली आने का निमंत्रण दिया। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नागौर के खरनाल के लिए रवाना हो गए।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सपत्नीक तेजाजी महाराज के दर्शन किए वे मंदिर में कुछ देर रुके और पूजा-अर्चना की। इसके बाद वायु सेना के विशेष विमान से उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ दिल्ली के लिए रवाना हो गए।

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(Udaipur Kiran) / संतोष

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