झुंझुनू, 13 सितंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान के पूर्व मंत्री सुंदरलाल काका का लम्बी बीमारी के बाद गुरुवार 12 सितंबर की देर रात करीब दाे बज कर चालीस मिनट पर निधन हो गया। वे 92 साल के थे। उन्होंने जयपुर के एसएमएस अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे 15 अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को उनके पैतृक गांव कलवा में किया गया । सुंदरलाल को उनके पुत्रों ने मुखाग्नि दी। राजस्थान सरकार की तरफ से मंत्री सुमित गोदारा, जिला कलेक्टर रामावतार मीणा, जिला पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी के साथ पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़, पूर्व सांसद संतोष अहलावत, पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी सहित बड़ी संख्या में लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुये।
सुंदरलाल का जन्म 22 अगस्त 1933 को झुंझुनू जिले के बुहाना तहसील के कलवा गांव में हुआ था। पूर्व मंत्री सुंदरलाल ने 22 अगस्त को ही अपना 92वां जन्मदिवस मनाया था। उन्होंने कुल 10 बार विधानसभा चुनाव लड़ा। जिनमें से तीन बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वे पांच बार सूरजगढ़ और दो बार पिलानी सीट से विधायक चुने गए। वे 1998 में भैंरोसिंह शेखावत की सरकार में उर्जा राज्य मंत्री भी रहे थे। उससे पूर्व कांग्रेस की हरिदेव जोशी सरकार में संसदीय सचिव व वसुधरा राजे की सरकार में उन्हें दाे बार अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान किया गया था।
कांग्रेस की टिकट पर सुंदरलाल ने 1972 सूरजगढ से पहला चुनाव लड़ा था और पहली बार विधायक बने थे। सुंदरलाल कुल 7 बार विधायक बने जिसमें दो बार कांग्रेस, दो बार निर्दलीय व तीन बार भाजपा से जीते थे। वह राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष व भाजपा के झुंझुनू जिलाध्यक्ष भी रह चुके थे।
शेखावाटी में सुंदरलाल जनाधार वाले नेता माने जाते हैं। वे क्षेत्र के अकेले ऐसे नेता थे जो कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों से विधायक रहे हैं। कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले झुंझुनू जिले में भाजपा को मजबूत करने का श्रेय सुंदरलाल को ही जाता है। 2018 के बाद उन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मना कर दिया था। इसके बाद उनके पुत्र कैलाश मेघावल को चुनाव मैदान में उतारा गया। लेकिन उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। 2023 के विधानसभा चुनाव में कैलाश मेघवाल को भाजपा टिकट नहीं मिलने पर वह निर्दलीय चुनाव लड़ा मगर तीसरे स्थान पर रहा। पिछले लोकसभा चुनाव में वह पुनः भाजपा में शामिल हो गये थे।
सुंदरलाल की ख्याति थी उनकी खांटी शैली। अपनी हाजिर जवाबी के चलते वह प्रसिद्ध रहे। जब भाजपा के पास दलित नेतृत्व का अभाव था तब उन्होंने शेखावाटी में दलित वर्ग में भाजपा की पैठ बनाई। मेघवाल बिरादरी को भाजपा से जोड़ने का काम किया। हार्डकोर कांग्रेस लैंड पर भाजपा का झंडा फहराने में बड़ी भूमिका निभाई।
सुंदरलाल सबसे पहले कलवा गांव में पंच बने फिर राजनीति में आगे बढ़ते गये। उन्हें राजनीति में लाने का श्रेय पूर्व जिला प्रमुख प्रहलाद सिंह पुहानिया को जाता है। फिर वह दिगग्ज राजनेता शीशराम ओला के साथ रहे। ओला से मतभेद होने पर वो भाजपा में शामिल हो गये। सुंदरलाल जमीन से जुड़े नेता थे। उनका देसी अंदाज लोगों को खूब भाता था। सुंदरलाल को राजस्थानी भजन खास तौर पर रागिनी गाने का शौक था। वे अक्सर सार्वजनिक मंचों पर व अपनी जन सभाओं में ढ़ोलक बजाते हुये रागिनी गाने लग जाते थे।
सुंदरलाल केवल साक्षर थे। इसके बावजूद लगातार तीन चुनाव में उन्होंने आरएएस से लेकर आईएएस तक को हराया। 2003 के चुनाव में उन्होंने सूरजगढ़ से चुनाव लड़ा। उनके सामने दूसरे नंबर पर निर्दलीय बाबूलाल खांडा रहे थे जो जिला कोषाधिकारी के पद से वीआरएस लेकर चुनाव लड़े थे। 2008 में उन्होने पिलानी से चुनाव लड़ा तब उनके सामने कांग्रेस के हनुमान प्रसाद थे जो रिटायर्ड आईएएस और राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष थे। इस चुनाव में भी सुंदरलाल ही जीते। इसी तरह 2013 के चुनाव में उनके सामने कांग्रेस के जेपी चंदेलिया थे जो रिटायर्ड आईएएस थे। उनकी पकड़ के सामने चंदेलिया को हारना पड़ा था। अपने पीछे सुंदरलाल ने 6 बेटे और 3 बेटियों का भरापूरा परिवर छोड़ा हैं।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने काका के निधन पर संवेदना जताते हुए लिखा कि “पूर्व कैबिनेट मंत्री, राजस्थान भाजपा के वयोवृद्ध नेता सुन्दरलाल “काका” के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। उनका देवलोकगमन भाजपा परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है। परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि उनकी पुण्य आत्मा को अपने श्री चरणो में स्थान एवं परिवारजनों को इस दुख की घड़ी में संबल प्रदान करें। ॐ शांति!”
राजस्थान के उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने शोक जताते हुए लिखा कि “पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुंदरलाल काका के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। उनके द्वारा राजनीति और समाजिक क्षेत्र में किए गए योगदानों को हमेशा याद रखा जाएगा। इस दुःख की घड़ी में शोक संतप्त परिवार, समर्थकों और सभी प्रशंसकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएँ हैं। परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि पुण्य आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान तथा शोकसंतप्त परिवारजनों को इस दुःखद घड़ी में संबंल प्रदान करें। ॐ शांति!”
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(Udaipur Kiran) / रमेश