Madhya Pradesh

जबलपुर : सुनियोजित रूप से षड्यंत्र और कूट रचना के चलते तहसीलदार,पटवारी सहित अन्य कर्मचारियों पर एफआईआर

जबलपुर, 12 सितंबर (Udaipur Kiran) । मध्‍य प्रदेश की संस्‍कारधानी में गुरुवार को राजस्व प्रकरण में अपने पद एवं अधिकारों का दुरुपयोग कर अवैधानिक कार्रवाई करने तथा लाभ लेने वाले व्यक्तियों पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश हुए हैं ।

दरअसल, इस संबंध में जानकारी सामने आई है कि आधारताल तहसीलदार हरिसिंह धुर्वे द्वारा सुनियोजित ढंग से कूट रचित वसीयतनामा के आधार पर श्याम नारायण चौबे का नाम दर्ज करवाया गया और उनकी मृत्यु के तत्काल बाद पूर्व योजना के अनुसार तत्काल दीपा दुबे और उसके भाइयों का नाम फ़ौती आधार पर संपत्ति पर दर्ज कर लिया दिया गया, फिर तुरंत बाद उक्त संपत्ति को विक्रय कर दिया गया। तहसीलदार द्वारा उक्त नामांतरण महावीर प्रसाद पांडेय की अपंजीकृत वसीयत के आधार पर किया गया था। अब इसमें मामला यह है कि उक्‍त भूमि पर लगभग 50 वर्षों से राजस्व अभिलेखों में शिवचरण पांडेय का नाम दर्ज है और वे इतने ही वर्षों से यहां खेती कर रहे है, उसेक बाद भी इस भूमि पर किसी अन्‍य का नाम दर्ज हो गया।

उल्लेखनीय है कि श्याम नारायण चौबे की पुत्री दीपा दुबे तहसील कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर (संविदा) का कार्य करती हैं। फर्जी तरीके से अतिरिक्त तहसीलदार से उक्त आदेश पारित करवाने में दीपा दुबे और पटवारी जोगिंदर पिपरी की संलिप्तता पाई गई है। प्रकरण में आवेदन,आवेदक एस चौबे के हस्ताक्षर से प्रस्तुत किया गया है। श्याम नारायण चौबे का नाम कहीं भी आवेदन पत्र में उल्लेखित नहीं है। श्याम नारायण चौबे के आवेदन पर हस्ताक्षर एवं आदेश पत्रिका में हस्ताक्षर अलग अलग हैं। आवेदक दवारा आवेदन पत्र मे स्थायी निवास का पता भी अंकित नहीं किया है, न ही कही परिचय पत्र,आधारकार्ड अधीनस्थ न्यायालय में प्रस्तुत किया हैं। आदेश पत्रिका में वसीयत के साक्षी उपस्थित हुए लेख किया गया किंतु किसी भी साक्षी के आदेश पत्रिका में हस्ताक्षर नहीं हैं। नोटराईज्ड शपथ पत्र में वसीयतकर्ता की वसीयत गवाहों द्वारा प्रमाणित की जा रही है किंतु न्यायालयीन आदेश पत्रिका में उनकी उपस्थिति दर्शित नहीं हो रही है।

इसी तरह से नोटराईज्ड स्टाम्प में भी स्टाम्प क्रेता की आयु का उल्लेख एवं उनके निवास का उल्लेख नहीं किया है। ऐसे में पटवारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट एक पक्षीय और दुर्भावनापूर्ण स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होती है। हल्का पटवारी प्रतिवेदन में मौका जांच एवं स्थल पंचनामा संलग्न नहीं किया गया, न ही उनके द्वारा पूर्व भूमिस्वामी महावीर प्रसाद के विधिक वारसानो की जानकारी एवं मृत्यु प्रमाण पत्र एवं मृत्यु दिनांक की जांच की गई। नोटराईज्ड स्टाम्प में भी स्टाम्प क्रेता की आयु का उल्लेख एवं उनके निवास का उल्लेख नहीं किया है।

ऐसे में अनुविभागीय अधिकारी आधारताल द्वारा तहसीलदार हरिसिंह धुर्वे,पटवारी जागेन्द्र पिपरे और कंप्यूटर ऑपरेटर दीपा दुबे के विरु‌द्ध ‌द्वारा लोकसेवक के नाते प्रदत्त पदीय अधिकारों का दुरुपयोग किया जाना,सुनियोजित तरीके से षड्यंत्र कर प्रथम दृष्टया कूटरचित दस्तावेज और एकतरफा कारवाई कर एक 95 वर्ष के व्यक्ति की भूमि को हड़पने के लिए अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया जाना सिद्ध पाया है। अनुविभागीय अधिकारी आधारताल द्वारा सुनियोजित षड्यंत्र कर,कूट रचना कर 95 वर्ष के व्यक्ति की भूमि को हड़पने के लिए दीपा दुबे पुत्री और उसके भाई रविशंकर चौबे अजय चौबे हर्ष पटेल की आपराधिक संलिप्तता सिद्ध पाई है। अनुविभागीय अधिकारी आधारताल द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन के आधार पर उक्त दोषी व्यक्तियों के विरु‌द्ध थाना विजयनगर जबलपुर में एफआईआर दर्ज कराई गई है।

—————

(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

Most Popular

To Top