जम्मू, 12 सितंबर (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर धर्मार्थ ट्रस्ट ने वीरवार को ऐतिहासिक रणबीरेश्वर मंदिर, जम्मू में आयोजित एक समारोह में जम्मू-कश्मीर के दूरदर्शी शासक महाराजा रणबीर सिंह को उनकी 139वीं पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर धर्मार्थ परिषद के अध्यक्ष ब्रिगेडियर आर.एस. लंगेह (सेवानिवृत्त) ने महाराजा रणबीर सिंह के महत्वपूर्ण योगदान को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनके शासनकाल में महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक सुधार हुए।
उन्होंने कहा महाराजा रणबीर सिंह की अपनी प्रजा के कल्याण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता और शासन के प्रति उनका दूरदर्शी दृष्टिकोण पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे महाराजा के योगदान, विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे के विकास ने क्षेत्र की प्रगति के लिए एक ठोस नींव रखी।
उन्होंने स्वर्गीय महाराजा रणबीर सिंह के योद्धा गुणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने ही गिलगित पर विजय प्राप्त की थी। जो पहले राज्य के खिलाफ विद्रोह का गवाह था और हुंजा और नागर की रियासतों ने उनके शासनकाल के दौरान जम्मू और कश्मीर को श्रद्धांजलि देना शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा कि न्याय के क्षेत्र में भी महाराजा रणबीर सिंह ने अपने शासनकाल के दौरान नागरिक कानूनों और रणबीर दंड संहिता के रूप में आपराधिक कानूनों को संकलित करते हुए एक आधुनिक न्यायिक प्रणाली की स्थापना की। महाराजा गुलाब सिंह के तीसरे पुत्र महाराजा रणबीर सिंह अगस्त 1854 में सिंहासन पर बैठे और उनका शासन 12 सितंबर, 1885 को उनके निधन तक चला। उनके शासन में राज्य कला, वास्तुकला और शासन में उल्लेखनीय प्रगति के साथ फला-फूला। उनकी विरासत कई पहलों के माध्यम से बनी हुई है जो आज भी जम्मू और कश्मीर के लोगों को लाभान्वित कर रही है। जम्मू और कश्मीर धर्मार्थ ट्रस्ट के अतिरिक्त सचिव वरिंदर सिंह जामवाल और स्टाफ सदस्य भी मौजूद थे और उन्होंने महाराजा रणबीर सिंह को श्रद्धांजलि दी।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा