-हुड्डा के दबाव में आम आदमी पार्टी व सपा को नहीं मिली कोई सीट, अंतिम समय में सीपीआई के लिए छोड़ी एक सीट
-प्रदेश की लगभग सभी सीटों पर होगा सीधा मुकाबला
चंडीगढ़, 12 सितम्बर (Udaipur Kiran) । हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व कांग्रेस अब बगैर गठबंधन के आगे चलेंगी। हरियाणा में गठबंधन को लेकर आईएनडीआईए तथा एनडीए शीर्ष नेतृत्व की एक नहीं चली। स्थानीय लीडरशिप की इच्छा ही यहां सर्वोपरि रही है। भाजपा ने 90 तो कांग्रेस द्वारा 89 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किए जाने के बाद हरियाणा की चुनावी तस्वीर साफ हो गई है। हरियाणा की ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस व भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होने जा रहा है।
भाजपा ने इस चुनाव में कई बोल्ड फैसले लेकर दिग्गजों को घर बिठाने का काम किया है। इसके परिणाम आने वाले समय में पता चलेंगे। भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस गुरुवार को नामांकन के अंतिम दिन सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार चुकी हैं। पिछले पांच साल से भाजपा को समर्थन देने वाले हरियाणा लोकहित पार्टी सुप्रीमो गोपाल कांडा भी अपनी ही पार्टी के बैनर तले दोबारा चुनाव लड़ेंगे। गोपाल कांडा की भाजपा हाईकमान के साथ कई बार बैठकें हुई लेकिन गठबंधन की बात सिरे नहीं चढ़ी। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चाहता था कि कांडा अपनी पार्टी का भाजपा में विलय करें लेकिन कांडा इस बात के लिए राजी नहीं हुए। कांडा ने गठबंधन के साथ पांच सीटों की मांग की थी, जिसे भाजपा ने सिरे से खारिज कर दिया। भाजपा उन्हें केवल एक सीट देना चाहती थी। इसे लेकर बातचीत सिरे नहीं चढ़ी और गोपाल कांडा फिर से हलोपा के बैनर तले मैदान में कूद गए हैं। भाजपा ने अंतिम समय तक सिरसा को खाली छोड़कर रखा।
उधर विपक्षी दल कांग्रेस भी उत्साह में आकर इस बार अपने बल पर चुनाव लड़ रही है। समाजवादी पार्टी से हटकर कांग्रेस की गठबंधन को लेकर सबसे अधिक बातचीत आम आदमी पार्टी के साथ चली। आम आदमी पार्टी के साथ सीटों पर सहमति नहीं बनने पर आप ने अपने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतार दिया और कांग्रेस ने अकेले ही अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं। अंतिम समय में कांग्रेस ने एक सीट सीपीआई के लिए छोड़ दी। प्रदेश में इस बार सत्ता की लड़ाई कांग्रेस तथा भारतीय जनता पार्टी के बीच में है। जननायक जनता पार्टी तथा इंडियन नेशनल लोकदल इस बार गठबंधन करके चुनाव लड़ रही हैं।
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(Udaipur Kiran) शर्मा