Uttar Pradesh

वैज्ञानिकों को कवितायें लिखनी चाहिए : प्रो. प्रत्यूष

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वाराणसी, 12 सितम्बर (Udaipur Kiran) । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) विज्ञान संस्थान के विद्यार्थियों ने गुरुवार को हिन्दी कविता पाठ में पूरे उत्साह से भागीदारी की। भौतिकी विज्ञान विभाग के एसएन बोस सभागार में हिन्दी प्रकाशन समिति की ओर से आयोजित कविता पाठ प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने एक से बढ़ कर एक स्व रचित कविताओं का पाठ किया। इसमें “उठो कुछ करो ऐसा की कायनात बदल जाये, कोई कटे पैरों से भीख माँग रहा है और कोई कटे पैरो से मेडल जीत रहा है”, मैं हंसती हूँ पर बाहर से, उर में मैं मन को मनाती हूँ, कौतूहल की बस्ती में, अपना आनंद रचाती हूँ”, “चलो अब तुमको विज्ञान दिखाते है” आदि रचनाएं सराही गईं।

कार्यक्रम में निर्णायक मंडल के सदस्य और जैव प्रौद्योगिकी के समन्वयक प्रो.प्रत्यूष शुक्ला ने कहा कि वैज्ञानिकों को कवितायें लिखनी चाहिए। क्योंकि कवितायें हमारे जीवन को परिलक्षित करती हैं और एक वैज्ञानिक के उत्कृष्ट शोध को कविता के माध्यम से भी लोगों तक पहुंचना चाहिए। प्रतियोगिता निर्णायक मंडल के सदस्य डॉ. राहुल कुमार सिंह ने बताया कि विजेताओं को 14 सितंबर हिन्दी दिवस के कार्यक्रम में सम्मानित किया जाएगा। संचालन डॉ. चंद्र शेखर पति त्रिपाठी और धन्यवाद ज्ञापन समिति की सदस्या डॉ. ऋचा ने किया।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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