– किसी समाज की सांस्कृतिक विरासत उसके मूल्यों व परम्पराओं की परिणति : आनंद शंकर सिंह
प्रयागराज, 12 सितम्बर (Udaipur Kiran) । ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज के दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा ‘‘राष्ट्र निर्माण में संस्कृति की भूमिका’’ पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता पूर्व आईजी एवं प्रो-वाइस चांसलर मेवाड़ यूनिवर्सिटी से आए आनन्द वर्धन शुक्ला ने राष्ट्र निर्माण में संस्कृति की भूमिका पर कहा कि लोक कभी एकाकी नहीं होता, वह समूह में होता है। संस्कृति देश का निर्माण करती है। आज हमारा देश इसी संस्कृति के लिए जाना जाता है। यह देश और उसकी संस्कृति विविध लोगों से निर्मित होती है।
उन्होंने अपने वक्तव्य में आगे कहा कि हम नदियों को अपनी माँ मानते हैं। इन नदियों से हमारा जीवन चलता है। प्रकृति से हम सब मनुष्यों की रक्षा होती है। यही संस्कृति है। उन्होंने कहा कि हमारी परम्परायें राष्ट्र का निर्माण करती हैं। भारतीय संस्कृति कला एवं सौंदर्य शास्त्र से निर्मित होती हैं। भारत का अपना सौंदर्य है। हमारी संस्कृति बोलती है, फूलती और फलती है।
अध्यक्षता करते हुए कॉलेज के प्राचार्य प्रो0 आनन्द शंकर सिंह ने कहा कि भारत की संस्कृति धर्म की विशालता और प्राचीनता के कारण ही इतिहास में जानी जाती है। जब इसके अस्तित्व खतरे में आये तो भारतवासी संस्कृति के रक्षा हेतु कोई कमी नहीं किये और आगे बढ़कर हिस्सा लिये। धर्म और संस्कृति की रक्षा किये। उन्होंने कहा कि किसी समाज की सांस्कृतिक विरासत उसके मूल्यों, परम्पराओं और साझा अनुभवों की परिणति है, जो एकता और उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देती है।
डॉ0 मनोज कुमार दूबे ने बताया कि कार्यक्रम का संचालन डॉ0 शिखा श्रीवास्तव एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजिका प्रो0 अमिता पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर कॉलेज के शिक्षक डॉ0 महेन्द्र प्रसाद, डॉ0 कादम्बरी शर्मा, डॉ0 अमरजीत राम सहित समस्त छात्र-छात्रायें और शोधार्थी उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र