देहरादून, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र सभागार में बुधवार को जिला सर्वाेदय मंडल की ओर से आचार्य विनोबा भावे की 129वीं जयंती पर उनका भावपूर्ण स्मरण किया गया। इस अवसर पर विनोबा के कुछ प्रिय भजन व गीत गायन भी किया गया। लोगों ने बिनोवा के चित्र पर पुष्पांजलि दी।
प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. रवि चोपड़ा ने सर्वाेदय और विनोबा पर अपने सम्यक विचार रखें। उन्होंने उनके विचार व जीवन से जुड़े अनेक उदाहरण लोगों के सामने रखा। उल्लेखनीय है कि डॉ. चोपड़ा ने विनोबा, सर्वाेदय और भूदान को बहुत निकट से देखा और समझा है। दूरदर्शन और आकाशवाणी के निदेशक ने भी सर्वाेदय और भूदान के साथ विनोबा के जीवन और दर्शन पर अपने विचार व्यक्त किए। अशोक कुमार ने बताया कि उन्होंने गांधी व बिनोवा दर्शन से प्रभावित होकर अपनी दिनचर्या भी उनकी दर्शन शैली में समाहित की हुई है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि विनोबा एक महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ महात्मा गांधी द्वारा घोषित प्रथम सत्याग्रही थे। धुलिया जेल में उनके द्वारा लिखित गीता दर्शन और विभिन्न धर्म ग्रंथों पर आधारित यथा- कुरान सार ,धम्मपद सार, बाइबिल, गुरुग्रंथ साहब, वैदिक धर्म सार इत्यादि के अलावा ईसावास्यवृत्ति, स्थितप्रज्ञ दर्शन उनकी प्रमुख कालजयी रचनाएं हैं। उनका भूदान आंदोलन जिसमें संपूर्ण देश में लगभग 48 लाख एकड़ जमीन दान में मिली उसी के कारण भारत देश एक बहुत बड़े सामाजिक सशस्त्र संघर्ष से बच गया।
सर्वोदयी विचारक विजय शंकर शुक्ल ने कहा कि विनोबा के प्रभाव से उत्तराखंड में हरिद्वार को छोड़कर करीब तीन हजार एकड़ जमीन भू-दान में प्राप्त हुई और उत्तरकाशी जिले का जिलादान संपन्न हुआ। विनोबा ने निष्पक्ष और निर्बर रहते हुए निर्भय और फिर अभय होने का सूत्र देते हुए जय जगत का उद्घोष किया। वह कहते थे कि मैं किसी देश विशेष का अभिमानी नहीं, किसी धर्म विशेष का आग्रही नहीं, किसी संप्रदाय, मत मतांतर के उलझन में न पड़कर प्रकृति के स्वतंत्र उद्यान में शून्य भेदभाव से विचरण करने वाला व्यक्ति हूं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सर्वाेदय मंडल की उपाध्यक्ष डॉ. इंदु शुक्ल व संचालन अधिवक्ता हरवीर सिंह कुशवाहा ने किया। प्रारंभ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के चंद्रशेखर तिवारी ने सभागार में उपस्थित जनों का स्वागत किया। इस दौरान कुसुम रावत, हिमांशु आहूजा, डॉ. राजेश पाल, चंदन नेगी, सुरेंद्र सजवाण, शैलेंद्र भंडारी, समदर्शी बड़थ्वाल, सुंदर सिंह बिष्ट व मनमोहन चढ्डा, अतुल शर्मा आदि उपस्थित थे।
(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण