RAJASTHAN

बाड़मेर की बेटी दक्षिण कोरिया में मिलीं मुख्यमंत्री से, दाेनाें देशाें के बीच लैंग्वेज चेंज करने को लेकर काम कर रही

बाड़मेर की बेटी दक्षिण कोरिया में मिलीं सीएम से, दाेनाें देशाें के बीच लैंग्वेज चेंज करने को लेकर काम कर रही

बाड़मेर, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । बाड़मेर की बेटी दक्षिण कोरिया की बड़ी कंपनी में कार्यरत है। वहां पर दक्षिण कोरिया व भारत के बीच में व्यापार के संबंध में इंटरनेशनल स्तर पर देशों के बीच लैंग्वेज चेंज करने को लेकर काम कर रही है। बेटी के पिता बाड़मेर धोरीमन्ना में सब्जी विक्रेता है।

गौरतलब है कि राजस्थान सीएम भजनलाल शर्मा फिलहाल दक्षिण कोरिया दौरे पर है। भारत और दक्षिण कोरिया देशों के बीच व्यापारिक चर्चा हुई थी। उसमें इस बेटी ने भाषा परिवर्तन (सेतु) का काम किया।

दरअसल, चार साल पहले धोरीमन्ना निवासी कुमारी पेम्पों को ग्लोबल कोरिया स्कॉलरशिप में स्थान मिला है। इसके तहत पेम्पों को दक्षिण कोरिया के ईवाह वूमेन यूनिवर्सिटी में जाकर पढ़ाई पूरी की,। उस पूरे देश से 20 लोगों का दक्षिण कोरिया के ईवाह वूमेन यूनिवर्सिटी में सलेक्शन हुआ। इसमें पेम्पों प्रजापत ने 5 वां स्थान हासिल किया।। पेंपों की पढ़ाई से लेकर रहने खाने-पीने तक का सारा खर्च दक्षिण कोरिया की सरकार उठाया। प्रति वर्ष 14 हजार डालर दिए गए। तब पेम्पों चेन्नई तमिलनाडु में कोरिया की एक कंपनी में कार्य कर रही थी।

पेंपो के पिता भीखाराम ने बताया कि उसने 12वीं तक गांव की स्कूलों में पढाई की। इसके बाद पेंपो का झारखंड यूनिवर्सिटी में एडमिशन हो गया। लेकिन यहां पर तीसरी भाषा के रूप में दक्षिण कोरिया (कुरियन) भी लेनी थी। हिंदी माध्यम से पढ़ी और घर पर मारवाड़ी बोली। पेंपो के लिए यह एक चुनौती थी, लेकिन उन्होंने इसे सहजता से स्वीकार कर लिया। पहले ही साल में उसने लैंग्वेज सीख ली और अपनी ग्रेजुएशन एग्जाम पास कर लिया।

आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण चैन्नई में की नौकरी

कोरियन के साथ ग्रेज्यूशन पूरी करने के बाद पेंपो को आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी जाना था। लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उसने नौकरी करने और अपनी पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया। चैन्नई की एक प्राइवेट कंपनी में कोरियाई भाषा की नौकरी की। तब उसकी रूचि इसमें बढ़ती गई। तब उसने कोरिया जाने का ठान लिया।

स्कॉलरशिप के लिए दो बार एग्जाम, कोरिया ने दिया पढ़ने लिखने और रहने का खर्चा

पिता भीखाराम का कहना है कि बेटी ने अलग-अलग प्रयासों से स्कॉलरशिप के लिए प्रयास किए। दो बार इसके लिए एग्जाम दिया। फिर जाकर सफल हो गई। कोरिया की ईवाह वूमेन युनिवर्सिटी में चयन हुआ। दक्षिण कोरिया सरकार ने प्रति वर्ष 14 हजार डालर दिए। वहां पढ़ाई पूरी करने के बाद पेंपो बतौर इंटरनेशनल भाषा ट्रांसलेटर का कार्य कर रही है।

पिता सब्जी विक्रेता, पेंपो के दो भाई और एक बहन

धोरीमन्ना सब्जी विक्रेता भीखाराम प्रजापत ने बताया कि मेरे परिवार में दो बेटे व दो बेटियां हैं। उसमें बड़ा पुत्र अमराराम, बेटी भाग्यश्री, बेटा मनोज कुमार है।

—————

(Udaipur Kiran) / चन्द्रशेखर

Most Popular

To Top