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पीएफआई ने हाई कोर्ट में कहा- प्रतिबन्ध का फैसला कानूनसम्मत नहीं, अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को

दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली, 11 सितम्बर (Udaipur Kiran) । पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि उस पर लगे प्रतिबंध को बरकरार रखने का यूएपीए ट्रिब्यूनल का फैसला कानूनसम्मत नहीं है। पीएफआई ने कहा है कि यूएपीए ट्रिब्यूनल ने उनकी दलीलों को पूरे तरीके से नहीं सुना और फैसला सुना दिया। हाई कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को करने का आदेश दिया।

पीएफआई की ओर से पेश वकील अदीत एस पुजारी ने कहा कि यूएपीए ट्रिब्यूनल का फैसला कानूनी प्रावधानों के विपरीत है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट को विभिन्न प्राधिकारों की ओर से पेश साक्ष्यों की समीक्षा करनी चाहिए। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि यूएपीए के तहत कार्रवाई स्थापित कानूनी प्रावधानों के तहत की गई है और ट्रिब्यूनल के आदेश की समीक्षा की मांग करना आम बात हो गई है।

केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने 21 अगस्त को सुनवाई के दौरान पीएफआई की याचिका में लिखे कुछ वाक्यों पर आपत्ति जताई थी। याचिका में कहा गया था कि पीएफआई को प्रतिबंधित करने का नोटिफिकेशन कानून का दुरुपयोग है, जो गैरकानूनी और मानवाधिकारों का उल्लंघन है। याचिका में लिखे इन वाक्यों पर चेतन शर्मा ने आपत्ति जताई थी। पीएफआई की ओर से पेश वकील अदीत एस पुजारी ने कहा था कि याचिका में लिखे गए ये वाक्य उन गवाहों के बयान पर आधारित है, जो ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश हुए थे।

दरअसल, पीएफआई को केंद्र सरकार ने गैरकानूनी संगठन अधिनियम की धारा 3(1) में दिए गए अधिकार का इस्तेमाल करते हुए प्रतिबंधित करार दिया था। पीएफआई ने इसी प्रतिबंध के खिलाफ पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 6 नवंबर, 2023 को पीएफआई की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए पीएफआई को हाई कोर्ट जाने को कहा था। पीएफआई ने यूएपीए ट्रिब्यूनल द्वारा उस पर लगे प्रतिबंध को बरकरार रखने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 21 मार्च को दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस दिनेश शर्मा की अध्यक्षता वाली यूएपीए ट्रिब्युनल ने पीएफआई और उससे जुड़े दूसरे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले पर मुहर लगाई थी।

केंद्र सरकार ने 28 सितंबर, 2022 को पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों को पांच सालों के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। केंद्र सरकार ने यूएपीए की धारा 3(1) के अधिकारों के तहत ये प्रतिबंध लगाया था। केंद्र सरकार ने पीएफआई के सहयोगी संगठनों, रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल (एआईसीसी), नेशनल कंफेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स आर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ) नेशनल वुमंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल को भी प्रतिबंधित किया था।

(Udaipur Kiran) /संजय

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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