जींद , 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पी राघवेंद्र राव ने मंगलवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से 2024 के दौरान धान की पराली जलाने की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए समीक्षा बैठक लेते हुए सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए। पराली जलाने के मामले में अति संवेदनशील गांवों पर विशेष निगरानी रखी जाए। इसके अलावा कृषि विभाग, ग्राम सचिव तथा पटवारियों की ग्राम स्तर पर टीमें बनाई जाएं जो कि किसानों को फसल अवशेष नही जलाने तथा पराली प्रबंधन के फायदों के बारे में जागरूक करेंगे। किसान धान फसल की कटाई एसएमएस लगी कंबाईनों से अनिवार्य करवाएं ताकि पराली प्रबंधन आसानी से किया जा सके।
वीडियो कान्फ्रैंस के उपरात उपायुक्त ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी गांवों में पराली जलाने की घटना न हो, इसके लिए कृषि अधिकारी गांव स्तर पर गठित नोडल अधिकारी से तालमेल स्थापित कर योजनाबद्ध तरीके से कार्य करें। इसके अलावा नम्बरदारों ग्राम सचिवों से मिलकर गांवों में जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीणों को पराली न जलाने के बारे में प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि किसान पराली का उपयोग पशुचारे के साथ-साथ अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए भी कर सकता है। जहां पराली का उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जाता है वहीं पराली का उपयोग अन्य सामग्री बनाने में भी किया जाता है।
उपायुक्त ने इस बताया कि जिला के जो 13 गांव रेड जोन में है उन पर विशेष ध्यान दिया जाए। जिनमें गांव अलेवा, श्रीरागखेड़ा, दनौदाकलां, धमतान साहिब, चक उझाना, रसीदां, जयपुर, मुआना, अलिपुरा, बडनपुर, करसिंधु शामिल हैं। उन्होंने बताया कि फसल कटाई के सीजन के दौरान प्रतिवर्ष किसानों द्वारा फसल अवशेष जलाने से वातावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है। उन्होंंने कहा कि पराली को जलाने से भूमि में मौजूद कई उपयोगी बैक्टीरिया व कीट नष्ट हो जाते हैं वहीं मिट्टी की जैविक गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाएं, धान के फानों को जलाने की अपेक्षा उनका प्रबंधन करें।
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(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा