-कोर्ट ने कहा, भगवान राम व भरत का त्याग भुला छोटा भाई बना कलयुगी भरत
प्रयागराज, 09 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिता की मौत के बाद 2.20 लाख के लिए दो भाइयों के झगडे को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। कहा हम हमेशा भगवान राम के छोटे भाई भरत के त्याग को स्मरण करते हैं। किंतु यहां छोटे भाई के अपने बड़े भाई के साथ व्यवहार ने उसे कलियुगी भरत बना दिया।
कोर्ट ने कहा कि बड़े भाई ने पिता के संयुक्त खाते से पैसे निकाले। कोर्ट ने समझौते का प्रयास किया, किंतु छोटे भाई की जिद के चलते नतीजा नहीं निकल सका। हालांकि रुपये का विवाद सिविल प्रकृति का है, किन्तु दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से छोटे भाई जो वकील हैं, परेशान करने के लिए आपराधिक कार्यवाही में तब्दील कर दी।
कोर्ट ने बड़े भाई संजीव चड्ढा याची के खिलाफ एक सी जे एम कानपुर नगर में विचाराधीन आपराधिक केस कार्रवाई को रद्द कर दिया और शिकायतकर्ता छोटे भाई राजीव चड्ढा पर 25 हजार रुपये हर्जाना लगाया है। चार हफ्ते में यह राशि याची को देने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने संजीव चड्ढा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका में आपराधिक न्यास भंग के आरोप में दाखिल पुलिस चार्जशीट व सम्मन आदेश की वैधता को चुनौती दी गई थी।
मालूम हो कि पिता की मौत के बाद बड़े भाई ने संयुक्त बैक खाते से 2.20 लाख रुपये निकाल लिया और पिता की वसीयत भी करा ली। जिसमें छोटे भाई को लाभ नहीं मिलना था। दबाव बनाने के लिए छोटे भाई ने बड़े भाई के खिलाफ किदवई नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई और आरोप लगाया कि पैसे निकाल कर भाई ने कपट व न्यास भंग किया है।
पुलिस ने केवल धारा 406 मे चार्जशीट दाखिल की जिस पर संज्ञान लेकर कोर्ट ने सम्मन जारी किया था। हाईकोर्ट ने भाइयों में समझौते के लिए कई तारीखें लगाई किंतु सहमति नहीं बनी।
कोर्ट ने कहा कपट व फर्जी वसीयत के आरोप में चार्जशीट दाखिल नहीं की गई। शिकायतकर्ता ने परेशान करने व दबाव डालने के लिए सिविल विवाद को आपराधिक विवाद में तब्दील कर लिया और वसीयत को अभी तक चुनौती नहीं दी है। कोर्ट ने कहा आपराधिक न्यास भंग के तत्व मौजूद नहीं हैं। इसलिए कोई केस नहीं बनता और पूरी केस कार्यवाही रद्द कर दी।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे