शिमला, 9 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में डूबने से हर साल औसतन 500 लोगों की मौत हो रही है। यह आंकड़ा बहुत बड़ा है और इससे निपटने के लिए एसटीआरएफ लोकल पुलिस और होमगार्ड के जवानों को ट्रेंड करेगी।
प्रदेश के डीजीपी डाॅ. अतुल वर्मा ने सोमवार को शिमला में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 2006 से 2010 के बीच किए गए एक अध्ययन से पता चला कि राज्य में हर साल डूबने से 514 मौतें हुई, जिनमें 75% आकस्मिक और 16% आत्महत्या थीं। उन्होंने कहा कि डूबने की अधिकांश घटनाएं गर्मियां (34%) और मानसून (31%) मौसम के दौरान हुई, जिसमें कांगड़ा और मंडी जिलों में सबसे अधिक घटनाएं हुई।
डीजीपी ने कहा कि डूबने के कारण कीमती जानों के नुकसान को रोकने के लिए 26 ऐसे हॉट स्पॉट की पहचान की गई और यह निर्णय लिया गया कि इन हॉट स्पॉट की निगरानी की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोगों को जल निकायों के पास जाने से रोका जा सके।
एसओपी तैयार की जाएगी: एसपी
एसटीआरएफ के एसपी अर्जित सेन ठाकुर का कहना है कि इसके लिए एक एसओपी तैयार किया गया है। जिसमें डूबने की घटनाओं को पकड़ने, ऐसी घटनाओं को रोकने और किसी भी घटना के होने पर ऐसी घटनाओं पर प्रतिक्रिया करने के लिए हमने तैयारियां की है। इसके तहत डूबने की घटनाओं पर तत्काल प्रतिक्रिया, बचाव और पुनर्प्राप्ति अभियान। ऐसी घटनाओं में डीडीएमए पुलिस/स्वास्थ्य की भूमिका और जिम्मेदारियां बहुत महत्वपूर्ण हैं, हालांकि लोगों को खतरनाक जगहों में जाने से रोकने के लिए कुछ कर्मियों की नियमित उपस्थिति की आवश्यकता जरूरी की गई है। इसलिए, इन हॉटस्पॉट वाले पुलिस स्टेशनों से होमगार्ड की पहचान की गई है, जो लाइफ गार्ड के रूप में काम करेंगे।
संजौली मस्जिद विवाद में किसी को कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं : डीजीपी
संजौली मस्जिद विवाद को लेकर हिमाचल पुलिस के डीजीपी डॉ. अतुल वर्मा ने पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ लेने की इजाजत नहीं है। कानून के हिसाब से कार्रवाई होगी। अभी स्थिति पूरी तरह से कंट्रोल में हैं। कानून व्यवस्था बिगाड़ने वालों पर हमारी पूरी नजर है।
डीजीपी ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर अगर 11 सितंबर को किसी तरह का प्रदर्शन होता है तो इसके लिए पुलिस ने पहले ही तैयारी की है। शिमला में बाहर से आने वाले लोगों की वैरिफिकेशन की जा रही है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा