शिमला, 9 सितंबर (Udaipur Kiran) । खस्ता माली हालत का सामना कर रहे हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर विधानसभा में सोमवार से चर्चा शुरू हुई। चर्चा के पहले दिन विपक्ष ने सरकार को वित्तीय संकट के मुद्दे पर घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने राज्य की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इस आर्थिक संकट के समाधान की जिम्मेदारी भी सरकार की है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य की वित्तीय स्थिति की हालत यह है कि विकास के लिए सिर्फ 28 फीसदी बजट ही रह गया है, जबकि पूर्व भाजपा की सरकार में 2017-18 में यह 39.56 फीसदी था। उन्होंने कहा कि आज बजट का 40 फीसदी से अधिक हिस्सा सिर्फ कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर खर्च हो रहा है, जबकि भाजपा सरकार में वर्ष 2017-18 में यह सिर्फ 27 फीसदी था।
नेता प्रतिपक्ष ने प्रदेश की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति और राज्य के कर्ज के बोझ तले दब जाने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि इसकी शुरूआत 1993 में तब हुई, जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बिना किसी जरूरत के बिजली बोर्ड और वन निगम के नाम पर हजारों करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में जब भाजपा सत्ता में आई तो उसे 48 हजार करोड़ रुपए का ऋण विरासत में मिला।
जयराम ठाकुर ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने पांच सालों में सिर्फ 19600 करोड़ रुपए का ऋण लिया, जो राज्य के लिए निर्धारित कर्ज सीमा से बहुत कम था। यही नहीं, भाजपा जब सत्ता छोड़कर गई तो प्रदेश सरकार के पास छह हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त ऋण लेने की सीमा मौजूद थी। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश पर कर्ज की स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री सुक्खू कर्ज को लेकर रिकार्ड बनाने जा रहे हैं, क्योंकि दिसंबर तक प्रदेश पर कर्ज का बोझ एक लाख करोड़ रुपए पार करने वाला है। उन्होंने एनपीएस के पैसे को कर्मचारियों का पैसा करार दिया और कहा कि इस पर प्रदेश सरकार का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि एनपीएस के लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र के साथ बाकायदा एमओयू साइन किया है। उन्होंने सरकार पर एनपीएस के पैसे को लेकर कर्मचारियों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया।
नेता प्रतिपक्ष ने सरकार की फिजूलखर्ची पर भी हमला बोला और कहा कि उसने सीपीएस के मामले की अदालत में पैरवी पर ही 6 करोड़ रुपए खर्च कर दिया। यही नहीं, एक बोर्ड के अध्यक्ष का वेतन रातोंरात 30 हजार रुपए से बढ़ाकर 1.30 लाख रुपए कर दिया। उस पर सरकार प्रचार कर रही है कि उसके मंत्री और सीपीएस दो माह तक वेतन नहीं लेंगे। उन्होंने पूछा कि आखिर सरकार के इस तरह के फैसलों से प्रदेश का वित्तीय संकट कैसे कम होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विकास कार्य पूरी तरह ठप पड़ गए हैं। राज्य में एक साल में सीमेंट के दाम प्रति बैग एक सौ रुपए से अधिक बढ़ चुके हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से प्रदेश की वित्तीय स्थिति स्पष्ट करने और यह भी स्पष्ट करने की मांग की कि आखिरकार हिमाचल 2027 तक कैसे आत्मनिर्भर बनेगा।
इससे पूर्व नियम 130 के तहत प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर चर्चा आरंभ करते हुए विधायक भवानी सिंह पठानिया ने कहा कि अब चुनाव के वक्त रेवड़ियां बांटने का समय जा चुका है। अब लोगों को चुनावी रेवड़ियां नहीं, बल्कि गुणात्मक सुविधाओं की जरूरत है।
भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने कहा कि 18 माह के कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पहाड़ जैसा कर्ज का बोझ चढ़ चुका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश पर अभी तक 94 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ चुका है। इसमें से 22 हजार करोड़ रुपए का कर्ज सिर्फ मौजूदा सरकार के 18 माह के कार्यकाल में लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस समय हर हिमाचली पर 1.17 लाख रुपए का कर्ज हो चुका है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आर्थिक संकट से निपटने के लिए मंदिरों का सोना-चांदी गिरवी रखने जा रहा है।
संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने माना कि हिमाचल बहुत बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है। उन्होंने इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव के वक्त भाजपा ने चुनावी रेवड़ियां बांटकर इस संकट को और बड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि आज सरकार की फिजूलखर्ची उठाने वाली भाजपा ने स्वर्ण जयंती कार्यक्रम पर ही 34 करोड़ रुपए खर्च कर डाले। उन्होंने राजनीतिक ओहदे बांटने को हर सरकार की राजनीतिक मजबूरी करार दिया और कहा कि यह हर सरकार में बांटे ही जाते हैं।
गिरवी नहीं रखेंगे सोना-चांदी : मुकेश अग्निहोत्री
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार आर्थिक संकट से निकलने के लिए किसी भी मंदिर का सोना या चांदी गिरवी नहीं रखने जा रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल देवभूमि है और सरकार लोगों की भावनाओं की कद्र करती है। उन्होंने विपक्ष पर इस तरह की बातें कर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि एचआरटीसी की बसों में हिमाचल की महिलाओं की रियायती यात्रा सुविधा में कोई कमी नहीं की जा रही है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा