Uttrakhand

एआई का उपयोग मनुष्य के बौद्धिक व्यायाम और चिंतन में बड़ी बांधा : प्रो. शिरीष

व्याखयान माला के दौरान

हरिद्वार, 09 सितंबर (Udaipur Kiran) । गुरुकुल कागड़ी सम विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग की ओर से आयोजित हिंदी सप्ताह के अंतर्गत हिंदी भाषा और साहित्य पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनुप्रयोग महत्व एवं चुनौतियां विषयक तीन दिवसीय व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। हिंदी सप्ताह के दूसरे दिन के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के हिंदी विभाग के प्रोफेसर शिरीष मौर्य ने हिंदी लेखक और एआई का दौर विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. मृदुल जोशी ने व्याख्यान का विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि वर्तमान समय में एआई के कारण कई चैट बॉट उपलब्ध है, जिनकी सहायता से भाषा और साहित्य के विद्यार्थी सूचनाओं का व्यवस्थित उपयोग कर सकते हैं। प्रो. जोशी ने कहा कि एआई मूल ग्रन्थों के अध्ययन का विकल्प नहीं बनना चाहिए।

द्वितीय दिवस व्याख्यान के मुख्य वक्ता ने कहा कि भले ही एआई के कारण कुछ सुविधाएं विकसित हुई हैं मगर एआई का उपयोग मनुष्य के बौद्धिक व्यायाम और चिंतन में एक बड़ी बांधा उत्पन्न कर रहा है, जिसके प्रति सचेत होने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मेधा कभी भी बनावटी नहीं हो सकती है, क्योंकि मेधा के विकास की यात्रा मनुष्य के विकास की यात्रा है। समाज, संस्कृति और इतिहास को समझने के लिए मानव मस्तिष्क ही प्रभावी है। एआई केवल वर्तमान और भविष्य के सवालों से संभावित उत्तर दे सकता है। प्रो. मौर्य ने एआई के भविष्य पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मशीनें मनुष्य को नष्ट कर रही हैं ।इसके कारण मनुष्य के अंदर मूल्यों का पतन हुआ है तथा धैर्य कम हुआ है।

भारतीय भाषा कला और संस्कृति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रो. ब्रह्म देव ने कहा कि भाषा मनुष्य की चेतना की प्रतीक है तथा भाषा के माध्यम से हमें आत्मबोध की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने मशीनों की विवेकसम्मत उपयोग करने की सलाह प्रतिभागियों को दी। व्याख्यान माला के उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. अजित तोमर ने किया व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निशा शर्मा ने किया।

(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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