Uttrakhand

वैदनी कुंड में दस सितम्बर को होगा लोक जात का समापन

वैदनी कुंड यहां पर होगा लोकजात का समापन।

-मां नंदा की लोकजात अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर अग्रसर होते हुए

गोपेश्वर, 09 सितम्बर (Udaipur Kiran) । हिमालय की आराध्य मां नंदा की लोकजात यात्रा अब धीरे-धीरे उच्च हिमालय क्षेत्र की ओर बढ़ रही है। यात्रा सोमवार को गेरौली पातल नामक स्थान पर रुकेगी, जो निर्जन स्थान है। दस सितम्बर को लोकजात यात्रा का समापन होगा।

मंगलवार को यात्रा वैदनी नामक स्थान पर पहुंच जाएगी, जहां पवित्र वैदनी कुंड में समस्त हिमालयी देवी देवता स्नान करेंगे। मान्यता है कि हिमालय के आराध्य भगवान शंकर पूजा अर्चना के दौरान यहां स्वयं उपस्थित होते हैं। इस पुण्य अवसर का साक्षी बनने के लिए यहां हजारों की संख्या में लोगों का पहुंचना शुरू हो गया है। समुद्र तल से 11004 फीट ऊंचाई पर स्थित वैदनी बुग्याल में स्थित वैदनी कुंड में पूजा अर्चना के बाद लोकजात यात्रा का समापन हो जाएगा।

वैदनी बुग्याल से त्रिशूली एवं नंदा घुंघुटी की चोटियां स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। हरे भरे चारागाह वैदनी की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। मंगलवार को नंदा सप्तमी की पूजा अर्चना के बाद लोकजात पर निकली मां नंदा इस यात्रा की समाप्ति के बाद यहां से अपने ननिहाल देवराडा के लिए वापस आ जाती है एवं यही पर पूरे छः माह के लिए प्रवास करती हैं और पूजी जाती हैं।

मानव व भगवान के बीच का रिश्ता भी बताती है लोकजात

मानव व भगवान के बीच यदि कोई रिश्ता है तो वह लोकजात के दौरान दिखाई देता है । लोकजात के दौरान आयोजित धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-अर्चना के समय पड़ावों पर इतने भावुक हो जाते हैं कि वह मानव से भगवान के रिश्ते की याद दिला देते है।

पित्रों का तर्पण भी करते है वैदनी में

लोकजात के साथ-साथ वैदनी कुंड में पूजा अर्चना के दौरान स्थानीय लोग श्राद्ध एव तर्पण भी करते हैं। वैदनी कुंड के पुजारी देवी दत्त कुनियाल का कहना है कि वैदनी मे पूजा अर्चना के दौरान स्वयं भगवान शंकर यहां उपस्थित होते है, ऐसा माना जाता है। इस दौरान पित्रो के निमित यहां किये गए श्राद्ध एव पित्र तर्पण सीधे पित्र लोक तक पहुंचते है ऐसी भी मान्यता है।

अंतिम गांव वाण से नंदा के धर्म भाई लाटू देवता करते है लोकजात की अगुवाई

लोकजात यात्रा के दौरान हिमालय क्षेत्र में प्रवेश से पूर्व अंतिम गांव वाण है जो यात्रा का पड़ाव भी है। यहां पर लाटू देवता का मंदिर स्थित है। लाटू मां नंदा के धर्म भाई है। वाण से आगे उच्च हिमालयी क्षेत्र में मां नंदा की लोकजात यात्रा की अगुवाई भी नंदा के धर्मभाई लाटू ही करते है।

(Udaipur Kiran) / जगदीश पोखरियाल

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