जम्मू, 8 सितंबर (Udaipur Kiran) । साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने रविवार को अखनूर, जम्मू में अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से संगत को निहाल करते हुए कहा कि जिसका पाप कर्मों से मन मलीन रहता है, उसे सपने में भी परमात्मा नजर नहीं आता है। साहिब तो पहले ही कह गये कि कलयुग में पाप बहुत बढ़ जायेगा। इसलिए बुद्धि बहुत कुंठित हो जायेगी। इसलिए उचित और अनुचित का फैसला नहीं कर पायेगा। यह वो युग है, जहाँ शुभ कर्म करने वाले का मखौल उड़ाया जायेगा।
आप देखना, जो आपके गिर्द गंदे लोग हैं, जो पाप कर्म कर रहे हैं, झूठ बोल रहे हैं, वो एकजुट होकर आपका विरोध करेंगे। पलटू साहिब ने खूब कहा है कि जगत और भगत में ऐसे ही वैर है, जैसे बिल्ली और चूहे में है। कौवे अपनी जमात में कहते हैं कि हमसे उत्तम कोई नहीं है। कौवा ऐसा है कि कहीं भी गंदगी में चोंच मार देता है। बोलता भी अजीब है। पर वो बोलते हैं कि हमारे जैसी वाणी किसी की नहीं है। कौवे की बोली किसी को भी अच्छी नहीं लगती है। वो कहते हैं कि कोकिल को हमारी वाणी का पता नहीं है। यह तो काली सी है।
इस तरह आपके गिर्द जो लोग हैं, आपका मखौल उड़ायेंगे। उल्लू ने कभी सूर्य नहीं देखा। मैंने बहुत लोगों से पूछा कि उल्लू क्यों सूर्य को नहीं देख पाता है। कोई सटीक उत्तर नहीं दिया। इंसान की आँखों में भी थोड़ा सा इन्फ्रारेड सिस्टम है। दूरबीनों में भी यह सिस्टम है। इस संसार में दो चीजें सब जगह हैं। पहला – प्रकाश। दूसरा-तापमान। घोर अँधकार में आप अपने सामने अँधकार देखते हैं। पर कुछ जीवों की आँख में इंफ्रारेड सिस्टम है। जिससे थोड़े से प्रकाश को भी बहुत बड़ा देख लेते हैं।
उल्लू, चमगादड़ और छुछुन्दरी में बहुत ज्यादा इंफ्रारेड सिस्टम है। इसलिए वो सूर्य को नहीं देख सकते हैं। आँख बंद हो जाती है। जैसे कोई आपकी आँख में हाई प्रकाश की टार्च मारे तो आपकी आँख बंद हो जायेगी। आर्मी में भी हमें ऐसी दूरबीनें मिलती हैं, ताकि दूर से ही दुश्मन को देख सकें। उसमें हिदायत है कि ज्यादा प्रकाश की तरफ नहीं देखना, अँधे हो जाओगे। तारों को भी नहीं देखना।
अँधकार में भी कुछ प्रकाश की किरणें हैं। वो सिस्टम उन प्रकाश की किरणों को लाखों गुणा बढ़ा देता है। अगर जुगनू को देखोगे तो लगेगा कि कोई बहुत बड़ा बल्ब जल रहा है। इसलिए हिदायत है कि आप आग में, प्रकाश में, तारों में इसका इस्तेमाल नहीं करें। इन जीवों के लिए रात दिन है और दिन रात है।
एक उल्लू था। हंस आकर उस डाल पर बैठा। उल्लू ने पूछा कि कौन हो, रात में उड़ रहे हो। हंस ने कहा कि मैं हंस हूँ। अभी सूर्य नारायण निकला। बहुत प्रकाश है। उल्लू ने कहा कि अँधेरा ही अँधेरा है, तुम किस प्रकाश की बात कर रहे हो। न हमारे बाप, दादा ने उसके बारे में बताया, न कभी हमने देखा। आप झूठ बोल रहे हो। रात को यहाँ मत फड़फड़ाओ। हंस ने बहुत समझाया, पर उल्लू नहीं मान रहा था। उल्लू के पूरे खानदान में भी किसी ने नहीं देखा। हंस ने ठान लिया कि इसे मैं सूर्य दिखाऊँगा।
वो ऐसे समय उसके पास पहुँचा, जब सूर्य निकलने वाला था। निकलने से पहले वाली थोड़ी रोशनी थी। उसने कहा कि मित्र देखो, थोड़ी रोशनी है। उल्लू ने कहा कि हाँ, अँधेरा हो रहा है। उसने समझाया कि आँख बंद मत करो, अभी रोशनी है। हिम्मत करके उसने देखा। पहले उसे बहुत दिक्कत हुई। वो रोज आकर उसे अभ्यास करवाने लगा। प्रथम सूर्य की किरण इतनी तेज नहीं है। थोड़ी सूर्य की किरणें हुईं तो उल्लू आँख बंद करने लगा। हंस ने कहा कि आँख बंद नहीं करो, देखो, वो सूर्य है। सुबह में सूर्य लालिमा लिए हुए होता है। तेज नहीं होता है। उल्लू ने कहा कि हाँ, तुम तो सही कह रहे हो। धीरे धीरे अभ्यास कराया। अब उल्लू की आँख ने उस प्रकाश को सहन करना सीख लिया। वो उल्लू दिन को उड़ने लगा। उसके पूर्वज उसे डाँटने लगे कि क्या कर रहे हो। वो हंस से बोला कि यह तो मान ही नहीं रहे हैं। साहिब यही तो कह रहे हैं कि उल्लू के लिए संसार में कोई सूर्य नहीं है। यह कोरी कल्पना है उसके लिए। चमगादड़ भी उसकी बात की पुष्टी करने के लिए आ गयी। बोला कि यह जो हंस है, यह बकवास कर रहा है, कोई सूर्य नहीं है। फिर छुछुन्दरी भी आई, बोला कि हे उल्लू तुम सही बोल रहे हो, कोई सूर्य नहीं है। यह हंस झूठ बोल रहा है।
इस तरह पाप करने वालों की संख्या बहुत हो गयी है। भगत तो अपने को असहाय समझ रहा है। सब्जी की दुकान में हीरे का कोई मौल नहीं होता है। इस तरह विरोधी हैं। कहते हैं कि यह अपना ही बोल रहा है। कोई सत् लोक नहीं है। अगर संतकाल के सभी संतों की बात उठाएँ तो 32 संत हुए हैं। उन्होंने करोड़ों लोगों को संसार से पार किया। उन्होंने भी इसकी साक्षी दी है। साहिब ने तो कई शब्दों में कह दिया कि जहाँ से हंस आया है, वो अमर देश है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा