कोलकाता, 07 सितंबर (Udaipur Kiran) । दार्जिलिंग के माटीगाड़ा इलाके में एक साल पहले हुए स्कूल की छात्रा के दुष्कर्म और हत्या के मामले में सिलिगुड़ी अदालत ने आरोपित को फांसी की सजा सुनाई है। शनिवार को सिलिगुड़ी अदालत की अतिरिक्त नगर दायरा अदालत की जज अनीता मेहता माथुर ने यह सजा सुनाई।
मामला 21 अगस्त 2023 का है, जब माटीगाड़ा के जंगल के भीतर एक परित्यक्त घर में 11वीं कक्षा की एक छात्रा को बहला-फुसलाकर ले जाकर मोहम्मद अब्बास नामक व्यक्ति ने दुष्कर्म किया। शारीरिक अत्याचार के कारण उस नाबालिग की मौत हो गई थी। आरोपित ने पीड़िता की पहचान छिपाने के लिए उसके चेहरे को ईंट से कुचल दिया था। इस घटना ने पूरे राज्य में आक्रोश फैला दिया था। अंततः सभी सबूतों की जांच-पड़ताल के बाद अदालत ने अब्बास को दोषी ठहराया।
अदालत के सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार को सजा सुनाई जानी थी। सरकारी पक्ष के वकील ने विभिन्न मामलों के उदाहरण देकर अपराधी के लिए फांसी की मांग की। वहीं, आरोपित के वकील ने बताया कि उसके मुवक्किल की वृद्ध मां हैं और उसके परिवार की स्थिति को देखते हुए फांसी की सजा को माफ करने की अपील की। लेकिन गुरुवार को अदालत ने अब्बास के खिलाफ लगे छात्रा के दुष्कर्म और हत्या के आरोप को सही पाया।
सरकारी वकील विभास चटर्जी ने शनिवार बताया कि घटना के एक साल और 14 दिनों बाद इस मामले का निपटारा हुआ। उन्होंने कहा, हर सुनवाई में हमने अदालत को यह समझाने का प्रयास किया कि यह मामला अन्य मामलों की तुलना में अलग है। इस मामले में दोषी को फांसी होनी चाहिए। हमने फांसी की मांग की थी। अदालत ने मुख्य रूप से दो बातों को ध्यान में रखते हुए मौत की सजा सुनाई। पहला, हत्या और दूसरा, नाबालिग का दुष्कर्म। मामला पोक्सो कानून के तहत दर्ज किया गया था। मौत की सजा के साथ-साथ अदालत ने मृतक के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है।
शनिवार को सजा सुनने के लिए मृतका का परिवार और पड़ोसी भी अदालत में मौजूद थे। जैसे ही आरोपित को पुलिस अदालत में लेकर आई, वहां मौजूद लोग गुस्से से भर उठे। सजा की घोषणा के बाद पीड़िता की मां ने कहा कि अदालत के इस फैसले से हम खुश हैं। मेरी बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि उस आदमी (दोषी) की दो पत्नियां और बच्चे हैं। फिर भी उसने ऐसा काम किया! उसे फांसी मिलनी चाहिए। शुरू से ही हमें माटीगाड़ा थाना और अदालत पर विश्वास था। उसी विश्वास ने आज मेरी बेटी को न्याय दिलाया।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर