विदिशा, 7 सितंबर (Udaipur Kiran) । पाइप फटे नोजल में लगी जंग, पेटियों के कांच टूटे, सुरक्षा के नहीं है कोई पुख्ता इंतजाम, लगे हैं एक्सपायरी डेट के अग्निशमन यंत्र। यह माजरा किसी कहानी का नहीं है बल्कि विदिशा मुख्यालय पर स्थित अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज का है जहां पर एक दिन पूर्व भोपाल संभाग के आयुक्त ने दौरा किया था लेकिन उनकी नजरों में एक्सपायर हो चुके अग्निशमन यंत्र नही आएं।
इससे पूर्व प्रदेश के कई मेडिकल कॉलेज में आगजनी की घटना हो चुकी है, लेकिन इसके बाद भी प्रशासन गहरी निंद्रा में है। और उसने उन घटनाओं से सबक नही लिया। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार में बैठे वरिष्ठ अधिकारी और कॉलेज प्रबंधन को किसी बड़े खतरे का इंतजार है। इसके बाद सरकार की तरफ से आदेश निर्देश और ढेर सारी सुरक्षा से संबंधित गतिविधियों के फरमान जारी होंते हैं।
अंचल के सबसे बड़े मेडीकल कालेज और अस्पताल अटल विहारी मेडीकल कालेज का बेतुका रवैया मीरजों की जान पर बन आया हैं। 750 बिस्तर के र्अस्पताल तथा 180 सीटो वाले कालेज में विगत एक माह पहले से एक्सपायर हो गए अग्निशमन यंत्रो की रिफलिंग नही की गई। अग्निशमन यंत्रो को खाली पर्ची लगाकर प्रदर्शनी के रूप में लटका रखा हैं। लगातार एक माह का समय निकलने के बाद भी इन यंत्रों की सुध नही ली गई। इसके चलते 450 बिस्तर वाले अस्पताल में 50 से अधिक अर्ग्निशमन यंत्र शोपीस टंगे हुए हैं जिनकी रिफलिंग का इंतजार हैं।
2021 में जब हमीदिया अस्पताल के बच्चा वार्ड में आग लगने की घटना हुई थी तो सरकार की नींद खुली थी। इसके बाद सभी इमारतों को फायर सेफ़्टी आंडिट करवाने के निर्देश दिएं, हालांकि इस हादसे म्के बाद से 6 महीने पहले मई 2021 में प्रदेश के सभी अस्पतालों में सेफ्टी आंडिट करने के निर्देश जारी किए थे। फायर सेफ्टी की एनओसी देने को लेकर नगरीय विभाग का हवाला देकर एक आदेश जारी किया गया जिसमें कहा गया कि एक्सलोसिव एक्ट के तहत फायर संबंधी एनओसी जारी करने का अधिकार कलेक्टर का रहेंगा। नगर निगम के क्षैत्र में आयुक्त और नगर पालिका या परिषद के एरिया में संभागीय संयुक्त संचालक को यह जिम्मेदारी सौपी गई जबकि यह अधिकार फायर सेफ्टी एक्ट के तहत दिए जाने थे।
100 अग्निशमन यंत्र के भरोसे सुरक्षा व्यवस्था
बर्ष 2024 में मेडीकल कालेज ने आज दिनांक तक न तो फायर सेफ्टी कराया और नही इलेक्ट्रिक सेफ्टी आंडिट हुआ क्योकि ऐसा प्रतीत होता हैं कि प्रशासन की नजर में यह महत्पूर्ण कार्य नही हैं ऐसा भी जानकार बताते कि न ही आज तक नगरीय प्रशासन से किसी प्रकार की एनओसी ली गई। बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के इतने बडे अस्पताल और कालेज का संचालन करना नियम के विरूद हैं। इससे यह स्पष्ठ होता हैं कि प्रबंधन किसी घटना का इंतजार करने की प्रतिक्षा में हैं। और पूर्व में जो प्रदेश के विभिन्न क्षैत्रों में घटनाएं घटित हों चुकी हैं उनसे सबक भी नही लिया हैं। और कालेज तथा अस्पताल मेडीकल कालेज का निंदा में हैं जब कोई हादसा हो जाएंगा। तब जाकर नींद से बहार आकर फायर सेफ्टी की पूर्ण कारवाई को अंजाम देगे।
एक दिन पूर्व आयुक्त ने किया था दौरा
एक दिन पूर्व भोपाल संभाग कमिश्नर ने मेडिकल कॉलेज में बैठक ली थी और उन्होंने बैठक उपरांत मेडिकल कॉलेज तथा मेडिकल अस्पताल का जायजा लिया था। इस समय प्रबंधन द्वारा उन्हें कई व्यवस्थाओं से संबंधित खामियां गिनाई गईं, लेकिन मजेदार बात यह है कि फायर सेफ्टी की अनियमितताओं को उन्होंने दरकिनार कर दिया और किसी को कानो-कानों खबर भी नहीं लगने दी और कमिश्नर का दौरा करा दिया। इस मौके पर कलेक्टर रौशन कुमार सहित मेडिकल कॉलेज का पूरा अमला मौजूद था। जबकि बिल्डिंग बने छह वर्ष हो गए हैं और नियमानुसार हर वर्ष फायर सेफ्टि की आॅडिट रिपोर्ट भेजकर एनओसी ली जाती है, लेकिन हालात यह है कि प्रबंधन द्वारा रिपोर्ट नहीं भेजी गई। जिसकी वजह से एनओसी लटकी हुई है। प्रदेश में ग्वालियर, भोपाल और जबलपुर मेडिकल कॉलेज में आग लगने की घटनाएं घटित हो चुकी हैं, इसके बावजूद भी विदिशा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा उनसे सीख नहीं ली गई और ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह की गतिविधियां बड़े हादसे का न्यौता देती हैं।
क्या कहता है नया एक्ट
अपीलेट अथॉरिटी बनेगा। प्रदेश स्तरीय फायर ट्रेनिंग इंस्टीटयूट, आग की रोकथाम के लिए अलग से बजट, बिल्डिंग एरिया को सील करने का अधिकार हादसे में मरने वालों को मुआवजा का प्रावधान,संपत्ति के मालिक से क्षतिपूर्ति की राशि वसूलने का अधिकार,पटाखा फैक्ट्री की जांच से लेकर एक्शन तक का अधिकार (फैक्ट्री एक्ट 1948 की धारा 38 (3) के तहत अग्निशमन,सुरक्षा के प्रावधान किया जाना भवन मालिक को करना,अनिवार्य कहा गया है। इधर, नगरपालिका सीएमओ बीडी कतौरिया का कहना है कि मैंने दो दिन पूर्व ही ज्वाईन किया है। मै दिखवाता हूं।
6 मंजिला इमारत हर मंजिल पर लगे एक्सपायरी डेट के अग्निशमन यंत्र
अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज की अस्पताल के फर्स्ट फ्लोर से लेकर सिक्स फ्लोर पर अनेक स्थानों पर अग्नि समन्वय यंत्र लगे हुए हैं लेकिन यह नियंत्रण की एक्सपायरी डेट एक माह पूर्व खत्म हो गई है जिन्हें आज तक रेसलिंग नहीं कराई गई इसके अलावा अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज में जहां पर विद्यार्थी अध्यापन और लेफ्ट साइड अन्य तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध है वहां पर भी लगे सभी अग्नि समन्वय केदो की रेसलिंग नहीं कराई गई है इसके साथ ही 80 बेड का आईसीयू एसेंसियो और पी ई स के आसपास भी एक्सपायरी डेट के अग्नि 9 यंत्र सुबह मन है।
इस संबंध में डीन, मेडिकल कॉलेज डॉ. मनीष निगम कहना है कि फायर सेफ्टी पर काम चल रहा है। शीघ्र दुरुस्त करा दिया जाएगा।
वहीं नगरीय प्रशासन विभाग कार्यपालन यंत्री सचिन कड़ू का कहना है कि मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल के लिए नोटिस जारी किया है, लेकिन अभी तक संचालकों द्वारा एनओसी नहीं ली गई। प्रति वर्ष आडिट रिपोर्ट जारी करने के नियम हैं, लेकिन समय रहते एनओसी संचालक नहीं लेते और न ही फाइल आफिस में आडिट रिपोर्ट लगाकर समाहित की गई।
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(Udaipur Kiran) / राकेश मीना