जैसलमेर, 7 सितंबर (Udaipur Kiran) । जैसलमेर शहर से 12 किमी दूर चूंधी गांव में भगवान गणेश का मंदिर है। मान्यता है कि यहां हर मन्नत पूरी होती है। बताया जाता है कि मंदिर 1400 साल पुराना है। काक नदी के बरसाती वेग से गणेश भगवान की मूर्ति प्रकट हुई थी। दशकों से यहां पूजा अर्चना की जा रही है। बारिश के दिनों में काक नदी का पानी इस मंदिर में मूर्ति का जलाभिषेक करते हुए निकलता है। इसके बाद भी प्रतिमा का स्वरूप नहीं बदला है। मंदिर बहुत प्रसिद्ध है और हर बुधवार को यहां भक्तों की भीड़ लगती है।
इस मंदिर को मकान की मनोकामना पूर्ण करने वाले गणेश मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस कारण इस मंदिर के आसपास पत्थरों से जमकर कच्चे मकान जैसा भक्त बनाते हैं। मान्यता है कि जो भी यहां इस तरह पत्थर जमाकर मकान बनाता है, गणेश भगवान उसका पक्का मकान बनवा देते हैं। चून्धी गणेश मंदिर का मुख्य द्वार विशाल पीले पत्थर का बना हुआ है। इसके द्वार के दोनों और सफेद संगमरमर की हाथी की मूर्तियां लगी हुई हैं। द्वार में प्रवेश कर आगे गुजरते हुए एक रास्ता सीढ़ियों से नीचे की तरफ नदी की ओर जाता है। इसी नदी में स्थित है सुप्रसिद्धि चूंधी गणेश का मंदिर है।
मंदिर की मूर्ति से जुड़ी कथा को बताते हुए इस मंदिर के पुजारी प्रबल द्विवेदी के अनुसार इसका निर्माण किसी इंसान ने नहीं किया है। ये मूर्ति खुद ही जमीन से प्रकट हुई थी। बरसात के मौसम में यहां नदी बहती है और मूर्ति पानी में डूब जाती है। मगर आज तक कभी भी इसका आकार, रूप न तो बदला न ही प्रतिमा घिसी है। चूंधी गणेश मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां चंवद नामक सिद्ध महात्मा ने कई सालों तक तपस्या की थी। ये स्थान उन्हीं के नाम से चूंधी के नाम से जाना जाता है। यहां अन्य ऋषियों ने भी तपस्या की थी, इसलिए इस स्थान को विशेष पवित्र माना गया है। यहां हर साल गणेश चतुर्थी को मेला लगता है दूर दूर से भक्तजन अपनी मनोकामना के साथ यहां आते है और तथा पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर से उतर कर नदी की तरफ जाने पर यहां वहां एक के ऊपर एक जमे पत्थर नजर आते हैं। यहां खुद का मकान बनने की मनोकामना लेकर लोग आते हैं और पत्थर जमाकर भगवान ने मकान बनने की मन्नत मांगते हैं।
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(Udaipur Kiran) / चन्द्रशेखर