Madhya Pradesh

नवजात शिशु के डिस्चार्ज के पूर्व जारी हो जन्म प्रमाण पत्र, ओपीडी पर्ची के साथ बनाया जाए आयुष्मान कार्डः कलेक्टर

नवजात शिशु के डिस्चार्ज के पूर्व जारी हो जन्म प्रमाण पत्र, ओपीडी पर्ची के साथ बनाया जाए आयुष्मान कार्डः कलेक्टर

– कलेक्टर- एसपी ने किया जिला चिकित्सालय का निरीक्षण

सागर, 6 सितंबर (Udaipur Kiran) । नवजात शिशु के डिस्चार्ज के पूर्व जन्म प्रमाण पत्र जारी किया जाए। यदि किसी पात्र व्यक्ति का आयुष्मान कार्ड नहीं है तो ओपीडी पर्ची के साथ ही आयुष्मान कार्ड बनाया जाए। दवा वितरण केंद्र पर दिव्यांगों के लिए अलग से काउंटर बनाएं। रिकॉर्ड रूम, आईसीयू में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। मरीज को वितरित होने वाले खाने में मुनगा, पालक की पत्ती को शामिल करें, सफाई एजेंसी का एक दिन का वेतन काटा जाए।

यह निर्देश कलेक्टर संदीप जीआर ने शुक्रवार को पुलिस अधीक्षक विकास शाहवाल एवं अन्य अधिकारियों के साथ जिला चिकित्सालय के निरीक्षण के दौरान दिए। इस अवसर पर सिटी मजिस्ट्रेट जूही गर्ग, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ममता तिमोरी, सिविल सर्जन डॉ. मौर्य, डॉ. आरएस जयंत, डॉ. अभिषेक ठाकुर सहित अन्य डॉक्टर, स्मार्ट सिटी के इंजीनियर, नगर निगम के अधिकारी मौजूद थे।

कलेक्टर ने अस्पताल के निरीक्षण के दौरान निर्देश दिए कि नवजात बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र डिस्चार्ज होने के पूर्व प्रसूति महिला के पलंग तक पहुंचे एवं एक प्रमाण पत्र की कॉपी उसके मोबाइल पर व्हाट्सएप के माध्यम से शेयर की जाए। जन्म प्रमाण पत्र एवं मृत्यु प्रमाण पत्र का अतिरिक्त काउंटर भी जिला चिकित्सालय स्थित डफरिन अस्पताल में बनाएं। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय में ओपीडी की पर्ची बनाते समय ही आयुष्मान कार्ड बनाने का कार्य किया जाए, जिससे कि संबंधित पीड़ित व्यक्ति को अन्यत्र न जाना पड़े और उसका इलाज तत्काल शुरू किया जा सके।

कलेक्टर संदीप जीआर ने कहा कि ओपीडी पर्ची बनाने के स्थान पर रेलिंग लगाई जावे एवं ओपीडी के हाल में ग्रेनाइट की बेंच लगाई जाए। उन्होंने ओपीडी पर्ची के टोकन मशीन को तत्काल चालू करने के निर्देश दिए। साथ में जिला चिकित्सालय के सभी चौनल गेटों को भारत के समान करने के निर्देश दिए, जिससे कि स्ट्रेचर एवं व्हीलचेयर से आने-जाने में असुविधा का सामना न करना पड़े।

उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय के मुख्य गेट पर आने वाली एंबुलेंस के रास्ते को ग्रीन कॉरिडोर के रूप में विकसित करें एवं अभी जो सड़क है उसकी ऊंचाई बढ़ाई जाए, जिससे कि एंबुलेंस से मरीज स्ट्रेचर से तत्काल ओपीडी में पहुंच सके। उन्होंने ओपीडी में लगी टीवी एवं स्क्रीन बंद पाए जाने पर अप्रसन्नता व्यक्त की एवं उसे तत्काल चालू करने के निर्देश दिए।

कलेक्टर ने कहा कि जिला चिकित्सालय में मरीज के साथ केवल एक व्यक्ति ही प्रवेश करेगा जिसके लिए पास जारी किया जावे बगैर पास के कोई भी व्यक्ति जिला चिकित्सालय में प्रवेश नहीं करें। इसकी संपूर्ण जवाबदेही सुरक्षा एजेंसी की रहेगी। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण अस्पताल में डस्टबिन जो कि व्हील वाले हों, को रखा जावे जिससे कि तत्काल उनको खाली भी कराया जा सके।

कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक जिला चिकित्सालय के इमरजेंसी कक्ष में पहुंचे, जहां उन्होंने डॉक्टरों से एवं मौजूद मरीजों से चर्चा की और वहां की व्यवस्थाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने मरीजों के द्वारा बताए गए सुझावों को तत्काल लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने जिला चिकित्सालय के मुख्य गेट पर व्हीलचेयर एवं स्ट्रेचर की संख्या बढ़ाने, मेडिकल एवं सर्जिकल ओपीडी की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड रूम, आईसीयू, गैलरी, वार्डों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।

कलेक्टर जिला चिकित्सालय की किचिन में पहुंचे, जहां उन्होंने खाना तैयार कर महिलाओं से चर्चा की। उन्होंने वेतन न मिलने के संबंध में बताया, कलेक्टर ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं सिविल सर्जन को निर्देशित किया कि उनकी वेतन तीन दिन के अंदर जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि मरीज को वितरित होने वाली सब्जी एवं रोटी में पालक एवं मुनगा के पत्तों को शामिल करें जो की पोष्टिक होते हैं। उन्होंने सोनोग्राफी कक्ष में संबंधित डॉक्टर मौजूद न रहने पर संबंधित डॉक्टर को तत्काल कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।

पुलिस अधीक्षक विकास शाहवाल ने सुरक्षा की दृष्टि से जिला चिकित्सालय परिसर में 24 घंटे पुलिस बल रहने के निर्देश दिए। उन्होंने कलेक्टर के साथ मौके पर मौजूद महिला चिकित्सकों एवं महिला पैरामेडिकल स्टाफ से सुरक्षा के संबंध में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने जिला चिकित्सालय की समस्त बंद कक्षाओं को खुलवाकर उनकी जानकारी प्राप्त की एवं अनुपयोगी सामान को तत्काल नष्ट करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय में किसी भी प्रकार की अनुपयोगी की सामग्री मौजूद नहीं रहना चाहिए।

कलेक्टर ने मरीज के साथ बैठकर पूछा स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में

कलेक्टर जिला चिकित्सालय में अलग-अलग जगह मौजूद मरीजों से जानकारी प्राप्त की। उन्होंने ओपीडी के प्रतीक्षालय कक्ष में बैठी प्रभा राठौर से जानकारी ली कि वे यहां अपने बच्चों को लेकर क्यों बैठी हैं। जिस पर प्रभा राठौर ने बताया कि मेरी आज अस्पताल से छुट्टी हुई है और मैं घर जाने के लिए बैठी हूं। कलेक्टर ने नवजात बच्चे के संबंध में जानकारी प्राप्त की और पूछा कि बच्चों को टीकाकरण हो गया है कि नहीं? तब प्रभा ने बताया कि टीकाकरण अस्पताल में ही हो गया था। तब कलेक्टर ने तत्काल पूछा कि आपको जन्म प्रमाण पत्र मिला कि नहीं एवं आयुष्मान कार्ड बना कि नहीं? जिस पर प्रभा के ससुर ने जानकारी प्रदान की कि अभी जन्म प्रमाण पत्र नहीं बना है। कलेक्टर ने तत्काल जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले अधिकारी को अपने समक्ष बुलाया एवं कहा कि जन्म प्रमाण पत्र क्यों नहीं दिया? जिस पर अधिकारी ने कहा कि उन्हें इसका डिस्चार्ज सर्टिफिकेट हाल ही में मिला है अब, प्रमाण पत्र बन जाएगा। कलेक्टर ने कहा कि नवजात बच्चे के डिस्चार्ज के पूर्व ही उसका जन्म प्रमाण पत्र संबंधित के पलंग पर ही पहुंचे एवं एक प्रति उनके मोबाइल नंबर/ व्हाट्सएप पर तत्काल शेयर की जाए।

इसी प्रकार ओपीडी वेटिंग में बैठे गढ़ाकोटा निवासी लखन गौंड़ से भी जानकारी ली तब लखन गौंड़ ने बताया कि मेरी खून की जांच अभी प्राप्त नहीं हुई है। कलेक्टर ने सिविल सर्जन को निर्देश दिए की तत्काल इसकी जांच उपलब्ध कराएं एवं आगे का इलाज शुरू करें। इस पर गढ़ाकोटा निवासी लखन गौंड़ ने कलेक्टर का आभार माना।

(Udaipur Kiran) तोमर

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