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पुराने एमआरईसी परिसर में बहुमंजिला बिल्डिंग का प्लान नहीं, हाईकोर्ट ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान याचिका पर सुनवाई की बंद

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 5 सितंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने गांधी नगर स्थित पुराने एमआरईसी परिसर में मास्टर प्लान के विपरीत बहुमंजिला इमारत के निर्माण को लेकर लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई को बंद कर दिया है। अदालत ने कहा कि मामले में किसी भी तरह का आदेश नहीं दिया जा रहा है। वहीं यदि भविष्य में यहां कोई निर्माण होता है तो अदालत के सामने इसकी जानकारी देने पर उस पर विचार किया जा सकता है। सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि यदि मामले में अब तक कोई निर्देश गए हैं तो उन्हें तत्काल निरस्त किया जाता है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एकलपीठ में एक समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार के आधार पर गत 15 मई को स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था। समाचार में गांधी नगर के पुराने एमआरईसी परिसर में मास्टर प्लान के विपरीत बहुमंजिला इमारतों के निर्माण के प्रस्ताव की जानकारी दी गई थी। इससे हरित क्षेत्र के प्रभावित होने और आसपास मोर पक्षी होने की बात भी कही थी। अदालत ने कहा कि एकलपीठ का स्वप्रेरित प्रसंज्ञान आदेश काफी व्यापक स्तर का है। इसके अलावा अब तक ऐसा कुछ सामने नहीं आया, जिसे अंतरिम आदेश देने का आधार बनाया जा सके। समाचार में कुछ लोगों के कहने पर आरोप लगाया गया है, जबकि इन आरोपों को किसी भी प्रक्रिया के माध्यम से सत्यापित नहीं किया गया है। दूसरी ओर महाधिवक्ता ने कहा कि वर्तमान में पुराने एमआरईसी परिसर में बहुमंजिला बिल्डिंग निर्माण को लेकर कोई स्वीकृत योजना नहीं है। वहीं यदि भविष्य में यहां सरकारी अधिकारियों के आवास के लिए कोई बहुमंजिला बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव बनाया जाएगा तो उसे विधि अनुसार और मास्टर प्लान के हिसाब से सक्षम अधिकारी से अनुमति लेने के बाद ही बनाया जाएगा।

गौरतलब है कि एक समाचार पत्र में गत 14 मई को समाचार प्रकाशित किया गया था कि पुराने एमआरईसी परिसर में 18 मंजिल के 6 टावर बनाने की योजना बनाई जा रही है, जो मास्टर प्लान के विपरीत है। इस समाचार पर एकलपीठ ने स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए गांधीनगर सहित अन्य संबंधित जगह पर बहुमंजिला निर्माण पर यथा स्थिति के आदेश दिए थे।

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(Udaipur Kiran)

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