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राज्य इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड कर्मचारियों का पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर मंडी में सम्मेलन का आयोजन

मंडी, 5 सितंबर (Udaipur Kiran) । हि.प्र. स्टेट इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज यूनियन की ओर से मंडी में स्मार्ट मीटरिंग, बिजली बोर्ड की लगातार बिगड़ती हुई वित्तीय स्थिति, कर्मचारियों की घटती संख्या व पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें सैंकड़ों कर्मचारियों, पेंशनर्ज व जन प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष के.डी. शर्मा, बोर्ड पेंशन फोरम के अध्यक्ष ई.ए.एस. गुप्ता व महासचिव चंद्र सिंह मंडयाल, पावर इंजीनियर एसोसिएशन से अरुण कुमार तथा पूर्व में रहे अध्यक्ष कुलदीप खरवाड़ा तथा पंचायत व महिला मंडल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कामेश्वर दत्त शर्मा ने बताया कि प्रदेश में निजी कंपनी की भागीदारी से की जा रही स्मार्ट मीटरिंग न तो उपभोक्ताओं के हित में है और न ही प्रदेश की जनता के हित मे है। उन्होंने कहा कि इस अनावश्यक खर्चे से उपभोक्ताओं की विद्युत दरों में भारी वृद्धि होगी। वहीं बिजली वितरण का एक बड़ा काम निजी कंपनी के पास जाने से यह बिजली बोर्ड के निजीकरण की ओर एक कदम होगा।

उन्होंने कहा बिजली बोर्ड में प्रदेश के सभी 26 लाख इलेक्ट्रॉनिक मीटर को निजी कंपनी के माध्यम से स्मार्ट मीटर से बदलने का फैसला लिया है। जिसमें लगभग 3100 करोड़ रुपए की लागत होगी और यह पैसा बिजली बिल के माध्यम से बिजली उपभोक्ताओं से वसूला जाएगा। यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि आज बिजली बोर्ड गम्भीर वितीय संकट से गुजर रहा है जिसके चलते कर्मचारियों व पेंशनर्ज के वितीय लाभ रुके पड़े हैं। आलम यह है कि पिछले एक वर्ष से कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर अर्जित अवकाश की अदायगी नहीं हो पाई। वहीं एक वर्ष से ओवर टाइम व यात्रा भत्ता के बसंपउे रुके पड़े हैं।

उन्होंने आरोप लगाया इस वितीय संकट का कारण जहां राज्य सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी का बिजली बोर्ड को सरकार से समय पर अदायगी न होना हैं वहीं बोर्ड प्रबंधन की गलत नीतियां भी है। वहीं यूनियन के महासचिव हीरा लाल वर्मा ने प्रदेश सरकार व प्रदेश की जनता से बिजली बोर्ड, जो प्रदेश का बहुत बड़ा सर्विस सेक्टर है को बचाने के लिए आगे आने की अपील की है। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड वर्तमान में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को 2300 करोड़ रुपए की सबसिडी दे रही है। प्रदेश सरकार उसके रोलबैक करने असमर्थ है। ऐसे में बोर्ड के अस्तित्व पर बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है।

उन्होंने प्रदेश के उपभोक्ताओं से अपील की है कि वह बिजली बिलो में दी जा रही सबसिडी न लेकर बोर्ड को इस वितीय संकट से बाहर निकालने में मदद करे। उन्होंने कहा आज बिजली बोर्ड में कर्मचारियों के अभाव से अकेले अकेले कर्मचारी के लाइन पर कार्य करने के कारण दुर्घटनाओं में कई गुणा वृद्धि हुई है और प्रति वर्ष 30-45 कर्मचारी हादसे का शिकार हो रहे हैं। जिसमें गत वर्ष 9 नियमित तथा 5 आउटसोर्स कर्मचारी और इस वर्ष 7 कर्मियों की काम करते दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु हुई है।

उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि प्रदेश का वह सरकारी उपक्रम जहां कर्मचारी अपनी शहादत देकर प्रदेश के लोगों को बेहतर बिजली उपलब्ध करवा रहे हैं उसमें वर्ष 2003 के बाद लगे कर्मचारियों को अभी तक पुरानी पेंशन के लाभ से वंचित रखा गया है। जबकि दूसरे सभी इदारों में जहां पुरानी पेंशन थी को यह लाभ दे दिया गया है। महामंत्री ने प्रदेश सरकार की अफसरशाही पर आरोप लगाया कि वह तथ्यों को तोड़मरोड़ कर बिजली बोर्ड के ऊपर 2980 करोड़ रुपए ऋण थोपा जा रहा है। जबकि यह राशि भारत सरकार द्वारा त्रिपक्षीय समझौते के तहत बिजली बोर्ड को एक वितीय पैकेज के रूप में दी गई थी। उन्होंने कहा कि इस राशि के बिजली बोर्ड के ऊपर डलने से बोर्ड का दिवालिया निकलना निश्चित है।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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