झांसी, 05 सितंबर (Udaipur Kiran) । कोलकाता में महिला चिकित्सक के साथ हुई देश को शर्मसार करने वाली घटना अभी शांत भी नहीं हुई थी कि उसी की तर्ज पर पैरामेडिकल कॉलेज में भी बीएससी नर्सिंग की छात्र के मानसिक उत्पीड़न का मामला प्रकाश में आया है। प्राचार्य पर आरोप लगने के बाद जांच समिति ने मुख्य समस्या को दरकिनार करते हुये अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। सुझाव भी दे डाले जिसमें पारदर्शिता का अभाव साफ झलकता है। अब देखना यह है कि शासन की जीरो टॉलरेंस वाली मंशा के अनुरूप पीड़िता को न्याय कब तक मिल पाता है?
बीते दिनों पैरामेडिकल कॉलेज के नर्सिंग विभाग में बीएससी नर्सिंग की छात्रा ने प्राचार्य पर गंभीर आरोप लगाते हुये उसे कम अंक देकर जीवन बर्बाद करने का आरोप लगाया था। इसको लेकर पैरामेडिकल के निदेशक अंशुल जैन ने दो सदस्यीय टीम गठित कर उसकी जांच रिपोर्ट मांगी थी। इस पर जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुये यह माना कि छात्रा के आंतरिक परीक्षा का मूल्यांकन विषय के शिक्षकों द्वारा किया गए था जो कि परीक्षा नियंत्रक द्वारा प्रधानाचार्य के माध्यम से विश्वविद्यालय की उपलब्ध कराया गया। अपने निष्कर्ष में उन्होंने यह भी लिखा कि बीएससी नर्सिंग में प्रत्येक विषय की दो आंतरिक परीक्षायें होती है। जिसमें पीड़िता ने चार में तीन विषय की आंतरिक परीक्षा नहीं दी थी संभवतः इस कारण से आंतरिक परीक्षा में कम अंक दिए गए। जबकि पीड़िता के भविष्य को दांव पर लगाते हुये अपने सुझाव में भविष्य के लिए यह बताया कि आंतरिक परीक्षा विषय विशेषज्ञ द्वारा करायी जाये। इसका मतलब है कि परीक्षा विषय विशेषज्ञ से नहीं हुई। साथ ही परीक्षा का मूल्यांकन पारदर्शिता के साथ कराने का सुझाव दिया गया है। जो अपने आप में प्रश्न खड़ा करता है कि क्या पारदर्शिता के साथ मूल्यांकन नहीं किया गया ? यही नहीं जांच समिति ने पूरे स्टाफ के बयान दर्ज कराये लेकिन छात्रा की कक्षा से किसी अन्य छात्र-छात्रओं के बयान लेना उचित नहीं समझा।
इस सबके इतर यक्ष प्रश्न यह है कि जांच समिति ने पीड़िता के उस दर्द को सिरे से खारिज कर दिया, जिस पीड़ा को उसने बताया था कि प्राचार्य पैरामेडिकल उसके ऊपर बुरी नजर रखते हैं। अपनी पूरी रिपोर्ट में इस मामले को न तो जांच समिति ने प्राथमिकता पर रखा और न ही इस समस्या के निस्तारण की कोई आवश्यकता समझी।
इस सम्बन्ध में प्राचार्य पैरामेडिकल काॅलेज मधुसूदन ने बताया कि उनका कार्य केवल परीक्षा के परिणाम को अग्रसारित करने का है जो उन्होंने बखूबी किया था।
(Udaipur Kiran) / महेश पटैरिया