जैसलमेर, 5 सितंबर (Udaipur Kiran) । लोकदेवता बाबा रामदेव की समाधि पर 640वां अंतरप्रांतीय भादवा मेला गुरुवार तड़के अभिषेक व आरती के साथ शुरू हो गया। मेले के शुभारंभ के अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में राव भोम सिंह तंवर, पोकरण विधायक महंत प्रतापपुरी, जिला कलेक्टर प्रताप सिंह, पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी, जिला न्यायाधीश पुरणमल शर्मा और अन्य प्रमुख लोगों ने बाबा रामदेव की समाधि पर पंचामृत से अभिषेक किया और चादर चढ़ाई। इसके बाद भोग अर्पित कर मंगला आरती की गई। इस दौरान बाबा से देश में खुशहाली की कामना की गई।
उल्लेखनीय है कि रामदेवरा गांव में बाबा रामदेव की समाधि पर प्रतिवर्ष भादवा माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया से एकादशी तक मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में देश के कोने-कोने से करीब 30 से 40 लाख तक श्रद्धालु पहुंचते हैं और बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन करते हैं। बीते एक माह से रामदेवरा में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है और प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु कतारबद्ध होकर बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार अब तक 15 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं।
जैसलमेर के पोकरण उपखंड मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर उत्तर की तरफ विख्यात गांव रामदेवरा स्थित है। जिसका दूसरा नाम रुणीचा भी है। यहां अछूतोद्धारक, साम्प्रदायिक एकता के प्रतीक मध्यकालीन लोक देवता बाबा रामदेव की समाधि पर मंदिर बना हुआ है। अंतरप्रांतीय मेले में राजस्थान सहित गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं दिल्ली आदि प्रांतों से लाखों यात्री पैदल, मोटरसाइकिल, साइकिल, बस रेल एवं अन्य साधनों से यहां आकर बाबा की समाधि के दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए श्रद्धा सहित आराधना करते हैं। लोकदेवता बाबा रामदेव को यूं तो देशभर में पूजा जाता है। विशेष रूप से राजस्थान के मारवाड़, मेवाड़, हाड़ौती, शेखावाटी, ढूंढाड़, उत्तरी राजस्थान के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित अन्य स्थानों से प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहां बाबा की समाधि के दर्शन के लिए आते हैं।
आज से करीब 680 वर्ष पूर्व विक्रम संवत् 1402 में बाबा रामदेव का अवतार बाड़मेर जिले के उण्डु काश्मीर में उस समय के राजा अजमलसिंह तंवर के घर हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार बाबा रामदेव का जन्म भादवा माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को हुआ, लेकिन तंवर समाज के भाटों के अनुसार बाबा रामदेव का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बताया जाता है। बाबा रामदेव ने अपने 40 वर्ष के जीवन में छुआछूत, ऊंच-नीच, भेदभाव जैसी कुरीतियों को मिटाने के लिए कार्य किया। बाबा के अनन्य भक्तों में हरजी भाटी और दलित समाज की डालीबाई के नाम प्रमुख है। विक्रम संवत् 1442 में भादवा माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन बाबा रामदेव ने 40 वर्ष की उम्र में रामदेवरा में समाधि ली।
अब मेले में 30 से 40 लाख श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। पूर्व में भादवा माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया से एकादशी तक मेला आयोजित होता था और श्रद्धालु दर्शनों के लिए यहां आते थे। अब श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में श्रद्धालुओं की भीड़ शुरू हो जाती है, जो भादवा माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक जारी रहती है। ऐसे में डेढ़ माह में लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचकर बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन करते हैं।
(Udaipur Kiran) / रोहित