शिमला, 4 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के उपनगर संजौली में विवादित मस्जिद निर्माण का मुद्दा बुधवार को विधानसभा में गूंजा। लोकनिर्माण मंत्री व शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने विधानसभा में विधायक हरीश जनारथा और बलबीर वर्मा द्वारा नियम 62 के तहत लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर हुई चर्चा के जवाब में कहा कि अवैध रूप से बनी मस्जिद पर कानून के तहत कार्रवाई होगी।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि मस्जिद में अवैध निर्माण का मामला नगर निगम शिमला की आयुक्त की अदालत में वर्ष 2010 से विचाराधीन है और इस पर जैसे ही फैसला आएगा, वैसे ही फैसले के अनुसार कार्रवाई होगी। उन्होंने कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के विधायकों से इस मामले को तूल न देने का आग्रह किया, ताकि सांप्रदायिक सद्भाव बना रहे।
चर्चा के दौरान शिमला के विधायक हरीश जनारथा और ग्रामीण विकास मंत्री व कसुंपटी के विधायक अनिरुद्ध सिंह के बीच एक-दूसरे के क्षेत्र में दखल देने को लेकर तंज भी कसे गए।
इससे पूर्व विधायक बलबीर वर्मा ने मामला उठाते हुए कहा कि संजौली में अवैध रूप से बनी मस्जिद की चार मंजिलों को तुरंत गिराया जाए और मस्जिद में सारी गतिविधियों पर रोक लगाई जाए ताकि मस्जिद के आस-पास रह रहे अन्य धर्मों के लोगों की भावनाएं आहत न हों। उन्होंने कहा कि मस्जिद में अवैध रूप से हुए निर्माण और अन्य गतिविधियों का संजौली के निवासियों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विरोध किया है। उन्होंने इस मस्जिद के कारण संजौली में सांप्रदायिक माहौल खराब होने का भी आरोप लगाया।
शिमला के विधायक हरीश जनारथा ने मस्जिद के कारण किसी भी तरह के तनाव से इनकार किया और कहा कि यह मस्जिद 1960 से पहले की है। हालांकि इसकी तीन मंजिलों का अवैध रूप से वर्ष 2010 के बाद निर्माण हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि यह मस्जिद वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी है और इस मस्जिद में बाहरी राज्यों के ही नहीं, बल्कि स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोग भी रहते हैं। उन्होंने कहा कि मस्जिद में अवैध रूप से बनाए गए शौचालयों को हटाया गया है। उन्होंने इस मामले पर कुछ लोगों पर जबरन सनसनी फैलाने का आरोप लगाया।
इसी मुद्दे पर ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने स्थानीय विधायक की सभी दलीलों को नकार दिया और कहा कि हरीश जनारथा ने शिमला में सिर्फ 190 मुस्लिम तहबाजारी होने का दावा किया, जबकि इनकी संख्या 1900 से भी अधिक है। उन्होंने कहा कि शिमला में सिर्फ हिमाचली बोनाफाइड लोगों को ही तहबाजारी की इजाजत होनी चाहिए और बाहरी लोगों को दी गई सारी अनुमतियां रद्द की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संजौली में जिस मस्जिद के कारण सांप्रदायिक माहौल खराब हुआ है, उसमें हुए अवैध निर्माण के मामले में अभी तक 44 पेशियां लग चुकी हैं, लेकिन फैसला अभी तक नहीं हुआ है। उन्होंने इस ट्रायल को दिखावा करार दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया वह शिमला में कुछ ऐसे लोगों को जानते हैं, जो बांग्लादेशी हैं और इनकी वैरीफिकेशन की जानी चाहिए।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा