भागलपुर, 4 सितंबर (Udaipur Kiran) । जिले के सन्हौला प्रखंड के सनोखर में इन दिनों खाद की कालाबाजारी चरम पर है। यहां के किसान 1350 रुपये का डीएपी 1600 रुपये में और 266.50 रुपया का यूरिया, 400 रूपये में उर्वरक तय मूल्य से अधिक दरों पर खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि गरीब और मध्यमवर्गीय किसान इस कालाबाजारी के कारण भारी आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।
बिहार सरकार ने खाद की कालाबाजारी रोकने के उद्देश्य से सभी लाइसेंसी दुकानों को एक विशेष मशीन प्रदान की है। जिसके माध्यम से आधार कार्ड से किसान का अंगूठा लगवाकर ही उर्वरक देने का नियम बनाया गया है। इस प्रक्रिया का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सही किसान को ही उर्वरक मिले और कालाबाजारी पर अंकुश लगाया जा सके। लेकिन सनोखर चौक पर स्थित राजीव कृषि केंद्र के नाम से संचालित खाद दुकानदार इन नियमों की खुलकर नियमों की धज्जियां उडा रही है। वहीं असली किसानों को खाद लेने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि दुकानदार अंगूठा लगवाने की प्रक्रिया का पालन नहीं करते हैं। इसके विपरीत, गांव के बिना लाइसेंस चल रहे खाद दुकानदारों को यहाँ से आसानी रूप में उर्वरक मिल जाता है। जिन्हें वे गांव घर में कम पढ़े लिखे छोटे छोटे किसानों को ऊंची कीमतों पर बेच देते हैं।
किसानों में भारी नाराजगी है। क्योंकि जो उर्वरक उनके लिए जीवनरेखा का काम करता है, वही उनके लिए भारी बोझ बनता जा रहा है। किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का अगर सही ढंग से पालन किया जाए तो कालाबाजारी पर लगाम लगाई जा सकती है। वहीं जब इस मामले में सन्हौला प्रखंड कृषि पदाधिकारी से बात किया तो उन्होंने ने कहा कि ऐसे दुकानदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। किसानों की यह भी शिकायत है कि जब वे उर्वरक लेने के लिए दुकानों पर जाते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि स्टॉक खत्म हो गया है। जबकि हकीकत में दुकानदार ऊंची कीमतों पर उर्वरक की बिक्री कर रहे होते हैं।
(Udaipur Kiran) / बिजय शंकर