– हजारों श्रद्धालुओं ने किया नर्मदा के जल में पवित्र स्नान
अनूपपुर, 2 सितंबर (Udaipur Kiran) । भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के मौके पर सोमवार को सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लम्बी आयु और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना लिए पावन व्रत किया। सुबह से ही महिलाओं ने निर्जला व्रत करते हुए मुख्य पीपल वृक्षों के तनों में अक्षय सूत्र के 108 परिक्रमा लगाते हुए कामना के सूत्र बांधे। इस विधि में हर फेरे में महिलाओं ने अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए ईष्टदेव से मन्नते मांगी। इस दौरान महिलाओं ने जड़ों में फल-फूल चढ़ाकर हवन-धूप भी किया।
माना जाता है कि सोमवती अमावस्या का अपना ही महत्व होता है। इसके अलावा कोतमा, बिजुरी, जैतहरी, अमरकंटक सहित ग्रामीण अंचलों में सोमवती अमावस्या पर सुबह से ही सुहागिन महिलाओं द्वारा मंदिरो एंव वृक्षों की परिक्रमा के साथ पूजा पाठ किया गया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूजा करने का उद्देश्य पति की लम्बी आयु के साथ परिवारिक समृद्धि की कामना होती है।
सोमवार को सोमवती अमावस्या पर अमरकंटक में हजारों श्रद्धालुओं ने नर्मदा उद्गम स्थल के पवित्र सरोवर में स्नान कर मंदिर में माता नर्मदा का विशेष पूजन अर्चन किया। जैसे-जैसे दिन चढ़ती गई श्रद्धालुओं की भीड़ सरोवर की ओर बढ़ती गई। मान्यता है कि हिन्दू धर्मग्रंथों में माघ मास को बेहद पवित्र और धार्मिक पुण्य प्राप्ति का समय चक्र माना गया है। इस मास को कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। जबकि वर्तमान में प्रयाग अर्धकुम्भ का भी शुभ संयोग बनने से इस पर्व का महत्त और अधिक बढ़ गया है।
धर्म ग्रंथों में ऐसा उल्लेख है कि इसी दिन से द्वापर युग का शुभारंभ हुआ था। लोगों का यह भी मानना है कि इस दिन ब्रह्माजी ने मनु महाराज तथा महारानी शतरूपा को प्रकट करके सृष्टि की शुरुआत की थी। उन्हीं के नाम के आधार पर इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार चन्द्रमा को मन का स्वामी माना गया है और अमावस्या को चन्द्रदर्शन नहीं होते। जिससे मन की स्थिति कमज़ोर होती है। इसलिए इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान बनाया गया है। मौनी अमावस्या का भी यही संदेश है कि इस दिन मौन व्रत धारण कर मन को संयमित किया जाए। शास्त्रों में वर्णित है कि होंठों से ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है उससे कई गुणा अधिक पुण्य मन में हरि का नाम लेने से मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव दोनों की पूजा का विधान है। इसलिए गंगा तट पर भक्त एक मास तक कुटी बनाकर गंगा सेवन करते हैं।
हजारों श्रद्धालुओं ने किया नर्मदा में लगाई डुबकी
मां नर्मदा उद्गम स्थली अमरकंटक में महिलाओं ने सोमवती अमावस्या पर प्रातःकाल स्नान करके मंदिरो आदि जगहों पर जाकर पूजन, अर्चन और परिक्रमा आदि संपन्न किया। हर माह में पड़ने वाली अमावस्या तिथि में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तिथि को खास माना जाता है। आज सोमवार पड़ने के कारण सोमवती अमावस्या विशेष महत्व की मानी गई है । आज के दिवस पितरों का भी तर्पण और पिंडदान करने से अनेक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। भाद्रपद अमावस्या 02 सितंबर 2024 को सोमवार पड़ने से इसे सोमवती अमावस्या या भादी अमावस्या भी कहते है । आज के दिन महिलाए आपने सौभाग्य की प्राप्ति व कामना हेतु महिलाए व्रत रख कर बढ़ी श्रद्धा पूर्वक पूजन , अर्चन कर प्रसाद चढ़ाती है और शिव मंदिर में आराधना करती है । अनेक महिलाए पीपलवृक्ष का 108 फेरे भी लगाती है तथा अनेक ग्रहणी घर पर तुलसी पौधें का भी फेरा लगाती है ।
पंडित सुनील दुबे ने बताया की आज अमावस्या तिथि होने के कारण कुछ महिलाएं व्रत रख कर पूजन की और कल उदया तिथि होने के कारण मंगलवार को भी कुछ महिलाए व्रत रख पूजन आराधना करेंगी । इस कलयुग में अमावस्या , चंद्र ग्रहण , सूर्य ग्रहण पड़ने से कलयुग की आयु क्षीण होती है । जिस वजह से इन तिथियों को जनमानस विशेष महत्व देते है , जिस वजह से लोग दान , पुण्य तीर्थ स्नान , पूजन आदि करते है । इस तरह पूजन , अनुष्ठान , धर्म के कार्य करने से कलयुग की आयु क्षीण होती जाती है। सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालुजन मंदिरो में अभिषेक भी किए। आज प्रातःकाल से ही अमरकंटक क्षेत्र में भक्तो , श्रद्धालुओ की भीड़ ज्यादा बनी रही।
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(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला