जबलपुर, 2 सितंबर (Udaipur Kiran) । मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में फिल्म इमरजेंसी के खिलाफ जनहित याचिका लगाई गई है जिसको लेकर हाईकोर्ट ने मणिकर्णिका फिल्म सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। इस याचिका पर सुनवाई 3 सितंबर को निर्धारित की गई है सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस सुनवाई को कोर्ट ने टॉप ऑफ द लिस्ट यानी प्राथमिकता की सूची में रखा है ।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एनएस रूपराह ने अदालत के समक्ष तर्क रखते हुए बताया की फिल्म के ट्रेलर में सिख समुदाय को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है इसमें अमृतधारी सिक्कों को बंदूक चलाते और हिंसक गतिविधियां करते हुए दिखाया है। उन्होंने बताया की फिल्म में कई विवादित संवाद भी शामिल हैं जिससे सिख समुदाय को खालिस्तान समर्थक बताने की कोशिश की जा रही है, जबकि सिख समुदाय सामाजिक परोपकार एवं अन्य सेवा की भावना के साथ कार्य करता है यह किसी से छुपा नहीं है। इसके साथ ही भारतीय सेना में सेवा देने के लिए सिखों का नाम अग्रणी है। उनका कहना है कि सिख धर्म ग्रंथ में 2500 बार राम शब्द उच्चारित किया गया है। इस फिल्म के माध्यम से सिख धर्म और हिंदू धर्म में मतभेद पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है।
वहीं शासन की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया की इसी फिल्म के मामले में पंजाब और हरियाणा में भी सुनवाई हुई इसके बाद सेंसर बोर्ड ने फिल्म के सर्टिफिकेशन पर दोबारा विचार करने के साथ कार्यवाही का आश्वासन दिया है । वही सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने सिख समुदाय के सेवा भाव की तारीफ की । उन्होंने दिल्ली में कोरोना महामारी के समय का उदाहरण देते हुए बताया कि सिख समुदाय ने जिस तरह से लोगों की सेवा की वह सराहनीय है ।
प्रतिवादियों की तरफ से कोर्ट में कोई भी अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुआ था जिसको लेकर कोर्ट ने कंगना रनाउत सहित अन्य सात प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है । यह नोटिस इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी प्रतिवादियों को भेजा जाएगा इस मामले में अगली सुनवाई मंगलवार 3 सितंबर को होगी ।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक