नई दिल्ली, 02 सितंबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछड़ों के उत्थान के लिए जातीय जनगणना कराए जाने का पक्षधर है। हालांकि संघ का मानना है कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए ताकि समाज के विभिन्न वर्गों में मतभेद पैदा हों। संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में इसके सहित अन्य राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर चर्चा हुई। बैठक में बांग्लादेश के हालात और पश्चिम बंगाल में हुई घटना पर भी चर्चा हुई है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक इस वर्ष केरल के पलक्कड़ जिले में 31 अगस्त से 2 सितंबर तक आयोजित हुई। बैठक के आज तीसरे दिन संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने पत्रकारवार्ता कर चर्चा के विषयों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जातीय जनगणना संवेदनशील मुद्दा है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। संघ जातीय जनगणना का समर्थन करता है। इससे समाज में पीछे रह गए वर्गों के बारे में सटीक आंकड़े पता चलते हैं, जिसके माध्यम से उन वर्गों के उत्थान पर सरकार काम करती है। हालांकि वे इसका इस्तेमाल कर राजनीतिक लाभ उठाने और समाज में मतभेद पैदा करने के खिलाफ हैं।
आंबेकर ने बताया कि बैठक में बंगाल में हुए घटनाक्रम पर भी चर्चा हुई है। संघ का मानना है कि महिलाओं के खिलाफ देशभर में हो रहे अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए। इसके लिए सख्त कानूनों के अलावा समाज में जागरुकता, परिवारों में संस्कार, शिक्षा पर ध्यान और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जाने चाहिए। समन्वय बैठक में संगठनों ने अपने-अपने स्तर पर इन विषयों पर कार्य करने की बात कही है।
उन्होंने बताया कि बैठक में आने वाले समय में अहिल्याबाई होल्कर और रानी दुर्गावती की 300वीं और 500वीं जयंती पर चर्चा हुई। इसके अलावा संघ 100 वर्ष पूरे होने पर पांच प्रमुख बिंदुओं पंच परिवर्तन पर कैसे काम करेगा, इस पर भी चर्चा हुई।
प्रचार प्रमुख ने बताया कि बैठक में तमिलनाडु में चल रही मिशनरी गतिविधियों पर ध्यान दिलाया गया। इसमें बताया कि बड़े स्तर पर लोगों का धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। इस पर आगे जमीनी हालात जानने के लिए रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी। बैठक में सीमा जागरण मंच और सेवा भारती की ओर से किए गए प्रयासों की भी जानकारी दी गई। बताया गया कि हाल ही में वायनाड में आए भूस्खलन में संघ के कार्यकर्ताओं ने आगे बढ़कर सेवा कार्य किए हैं।
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(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा