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डिजिटल युग में सीखने की कोई उम्र, दूरी और सीमा नहीं होती : डॉ. बीरबल झा

कार्यक्रम को संबोधित करते डॉ. बीरबल झा

नई दिल्‍ली/पटना, 31 अगस्‍त (Udaipur Kiran) । दूरस्थ शिक्षा और वयस्क शिक्षा का मिश्रण है डिजिटल यानी ऑनलाईन शिक्षा। स्पोकेन इंग्लिश के क्षेत्र में देश की लब्ध प्रतिष्ठत संस्थान ब्रिटिश लिंग्वा के प्रबंध निदेशक डॉ. बीरबल झा ने शनिवार को कही।

डॉ. बीरबल झा ने लर्निंग नोज नो एज, प्लेस ऑर लिमिट इन डिजिटल एरा विषय पर ब्रिटिश लिंग्वा के बोरिंग रोड सेंटर पर आयोजित प्रतियोगिता के उपरांत अपने संबोधन में कहा कि आज से कुछ वर्ष पूर्व तक वैसे छात्र जो समयाभाव और संसाधन की कमी के कारण रेगुलर शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ थे, वैसे लोगों के लिए डिजिटल शिक्षा, जिसे हम ऑनलाईन शिक्षा के नाम से भी जानते हैं, ने काफी आसान बना दिया है।

डॉ. झा ने आगे कहा कि वह समय चला गया जब लोगों को औपचारिक और अनौपचारिक या प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए देश विदेश के महंगे संस्थानों में नामांकन कराने के लिए एक बड़ी रकम खर्च करना पड़ता था। डॉ. झा ने विश्व दूरस्थ शिक्षा दिवस के अवसर पर आयोजित संभाषण प्रतियोगिता में शामिल प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि वह समय चला गया जब हम किसी सूचना को अपने निकटस्थ या सगे संबंधियों को भेजने के लिए पोस्टकार्ड, अन्तर्देशीय आदि का उपयोग किया करते थे। कई बार हमारा पोस्ट पहुंचने में महीनों लग जाया करते थे या उससे पहले हम स्वयं पहुंच जाया करते थे।

उन्‍होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में हम ई-मेल के माध्यम से सैकड़ों में अपनी इस जरूरत को पूरा करने में सक्षम हो गये हैं। इसी प्रकार हम मनीआर्डर के माध्यम से अपनों को पैसा भेजा करते थे जिसे पहुँचने में कई बार महीनों लग जाया करता था वहीं आज हम डिजिटल युग में मिनटों में यही काम यूपीआई के माध्यम से करने में सक्षम हैं। इक्कीसवीं शताब्दी के इस दशक को आने वाली पीढी सूचना क्रांति के लिए भी याद करेगी।

झा ने कहा कि आज हम स्मार्ट फोन के माध्यम से घर बैठे अपने जीवन की अधिकतर आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम हैं। उन्होंने छात्रों को कोरोना काल की याद दिलाते हुए कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जब पूरी दुनियां ठिठक गई थी। लोग अपने घरों में बंद थे। स्कूल, कॉलेज सभी बंद करना पड़ा था। तभी ऑनलाईन शिक्षा का मॉडल हमारे लिए आशा की किरण लेकर आया। पूरे देश में हमारी सरकार द्वारा आप्टिकल फाईबर का जाल बिछाया गया। स्कूली शिक्षा से लेकर आईआईटी, आईआईएम तक ने अपने छात्रों को घर बैठे ऑनलाईन शिक्षा प्रदान की। आज अधिकतर प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन ऑनलाईन ही किया जा रहा है।

उन्होंने ब्रिटिश लिंग्वा की ऑनलाईन ट्रेनिंग की चर्चा करते हुए कहा कि पहले हम उसी जगह छात्रों को स्पोकेन इंग्लिश की ट्रेनिंग दे पाते थे जहाँ हमारी सेंटर है। परंतु, अब हमारी ऑनलाईन कोर्स में एक तरफ जहां सुदूर गांव के विद्यार्थी अपने घर बैठे अंग्रेजी बोलना सीख रहे हैं। वहीं, देशभर में कई प्रोफेशनल भी जिनके लिए समयाभाव में कोर्स करना संभव नहीं था, वह भी अपनी व्यस्तता के अनुसार समय का चयन कर घर बैठे अंग्रेजी सीख रहे हैं। इतना ही नहीं, कई लोग तो मिडिल ईस्ट के देशों यथा सऊदी अरब, कुवैत, कतर, लेबनान आदि से ऑनलाईन कोर्स ज्वाईन कर रहे हैं। इस प्रकार, ऑनलाईन या डिजिटल लर्निंग के मोड ने उम्र, दूरी, हैसियत आदि की सीमा को पूर्णतया समाप्त कर दिया है।

इस अवसर पर सैकड़ों प्रतिभागियों एवं विजेताओं को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित भी किया गया। प्रतियोगिता में शामिल प्रतिभागियों में रंजीत कुमार, चंदन कुमार, प्राची बूबना, अतिशेक कुमार, श्वेता कुमारी, कुमार रवि, युसुफ खान, राज्यवर्धन शर्मा, आकांक्षा, नंदिनी, सिमरन कुमारी, दीनानाथ, अर्चना कुमारी, मोहम्मद साजिद, पल्लवी कुमारी, हिमांशु कुमार, अनन्या कुमारी, सलोनी, अनामिका, शिखा, प्रभु, अरमान, नेहा यादव, रश्मि, अरमान आदि शामिल हुए।

(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर

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