जोधपुर, 31 अगस्त (Udaipur Kiran) । एक सडक़ हादसे में घायल महिला के ब्रेन डेड रहने के बाद शनिवार को उसके परिजनों की सहमति से अंगदान किए गए। उसके अंगदान से चार लोगों की जिंदगियां बच पाएगी। जोधपुर एम्स से शनिवार सुबह फ्लाइट के जरिए हार्ट, एक किडनी और लिवर जयपुर भेजा गया। वहीं एक किडनी जोधपुर एम्स में ही मरीज को लगाई जाएगी। परिजनों का कहना है कि उनकी शुरू से ही इच्छा थी कि मरने के बाद उनके अंगदान किए जाए। ताकि मृत्यु के बाद भी किसी को जीवन मिल सके, वे अमर हो सकें।
अंगदानी महिला के पति रतनलाल ने बताया कि पत्नी कंवराई देवी (46) और बेटे के साथ बाइक पर गत 28 अगस्त को जैतारण स्थित दुकान से अपने गांव खारिया मीठापुर में खेत संभालने जा रहे थे। इस दौरान सुबह करीब 8.30 बजे पैदल जा रहे जातरुओं को बचाने के चक्कर में सामने से एक कार बेकाबू होकर आई। उससे बचने के लिए रतनलाल ने ब्रेक लगाए तो बाइक स्लिप हो गई। इसी हादसे में पीछे बैठी पत्नी कंवराई देवी घायल हो गई, उसके सिर में गंभीर चोट लगी थी। उसे एम्स में इलाज के लिए लाया गया। यहां जांच में सामने आया कि उनका ब्रेन डेड हो चुका है। इस पर उन्होंने तीन दिन तक उनके स्वस्थ होने का इंतजार किया लेकिन सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ। इस पर डॉक्टर की सलाह के बाद शनिवार को उन्होंने निर्णय लिया कि अंग डोनेट किए जाने चाहिए। भले ही वह इस दुनिया में नहीं हो लेकिन वह मरकर भी लोगों के दिलों में जिंदा हो इसी को ध्यान में रखते हुए उनके अंग डोनेट करने का निर्णय लिया गया। परिजनों ने भी इस पर सहमति दे दी।
डेढ़ माह पहले ही जताई थी इच्छा
पति रतनलाल ने बताया कि डेढ़ माह पहले ही पाली में एक ऑर्गन डोनेशन को लेकर कैंप लगा था। इस दौरान हम वहां मौजूद थे। इस दौरान पत्नी ने कहा था कि कभी अगर वो इस दुनिया में नहीं रहे तो उनके अंगदान किए जाए। ऐसे में वो मरकर भी अमर हो जाएगी। बता दे कि रतनलाल जैतारण में किराने की दुकान चलाते हैं और सर्फ और साबुन एजेंसी भी ले रखी है। परिवार जैतारण से 14 किलाेमीटर दूर खारिया मीठापुर है। उनके दाे बेटे तरुण खटाना (30) राहुल खटाना (22) और 2 बेटियां कंचन (31) सरोज (25) हैं।
एम्स से एयरपोर्ट से तक ग्रीन कॉरिडोर
एम्स जोधपुर के हार्ट, किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉक्टर एएस संधू ने बताया कि महिला के परिजनों ने सहमति दी कि उनके अंग डोनेट करना चाहते हैं। कंवराई देवी गुर्जर के लीवर, हार्ट और एक किडनी डोनेट की गई है। उन्हें सुबह 11 बजे की फ्लाइट से जयपुर भेजा गया है। हार्ट, लीवर और एक किडनी जयपुर भेजी गई है। एम्स चौकी इंचार्ज धन्नाराम काला की देखरेख में एम्स से एयरपोर्ट के लिए 7 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। लिवर को 12 घंटे, किडनी 30 घंटे तक रखी जा सकती है, लेकिन हार्ट को 4 से 6 घंटे में लगाना पड़ता है। ऐसे में फ्लाइट के जरिए तीन अंग जयपुर भेजे गए हैं।
डॉक्टर बोले सही मायनों में यही अमरता
अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर दीपक कुमार झा ने बताय कि महिला यहां 28 अगस्त से एडमिट थी। सिर की चोट लगने के बाद कई बार ब्रेन का फंक्शन काम करना बंद कर देता है। इस मामले में पेशेंट कब तक जिंदा रह सकता है कुछ कह नहीं सकते। जिस तरह का परिजनों ने निर्णय लिया है यही सही मायनों में अमरता है।
(Udaipur Kiran) / सतीश