– काेर्ट ने कहा, सेवानिवृत्त होते ही कर्मचारी, कर्मचारी नहीं रह जाता
– राज्य भंडारण निगम के एमडी के याची से 27 लाख 21 हजार की वसूली आदेश रद्द
प्रयागराज, 29 अगस्त (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने के बाद वह कर्मचारी नहीं रह जाता। इसलिए सेवानिवृत्ति के बाद उसके खिलाफ नियमानुसार विभागीय जांच नहीं की जा सकती।
इसी के साथ कोर्ट ने राज्य भंडारण निगम फतेहपुर के सेवानिवृत्त कर्मचारी के खिलाफ प्रबंध निदेशक द्वारा 27 लाख 21 हजार 930.26 रूपये की वसूली आदेश रद्द कर दिया और कोर्ट ने कहा विभागीय जांच में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। याची को साक्ष्य देने व सुनवाई का मौका नहीं दिया गया और एकपक्षीय जांच रिपोर्ट के आधार पर सेवा से हटाकर वसूली आदेश जारी किया गया।
कोर्ट ने राज्य भंडारण निगम के वरिष्ठ अधिवक्ता ओ. पी. सिंह के इस तर्क को मानने से इंकार कर दिया कि विभाग को नियमित जांच करने के लिए प्रकरण विभाग में वापस भेजा जाय। क्योंकि विभागीय जांच कार्यवाही याची के सेवानिवृत्त होने से पहले शुरू की गई थी और बाद में दंडित किया गया। कोर्ट ने कहा सेवानिवृत्त होने के बाद याची निगम का वो कर्मचारी ही नहीं रहा तो उसके खिलाफ विभागीय जांच कैसे की जा सकती है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने भंडारण सहायक रहे सुंदरलाल की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है। याची अधिवक्ता का कहना था कि विभागीय जांच में जांच अधिकारी द्वारा मौखिक साक्ष्य के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई।उसे सफाई का मौका नहीं दिया गया। चार्जशीट के जवाब पर विचार नहीं किया गया। जवाब से असंतुष्ट होंने का कोई कारण नहीं बताया गया है। जांच में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। याची को जांच में भाग लेने नहीं दिया गया और रिपोर्ट दे दी गई।
(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे