शिमला, 29 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को सदन में शराब के ठेकों की नीलामी का मामला उठा। इस पर विपक्षी दल भाजपा ने हंगामा किया। भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने प्रश्नकाल के दौरान नई शराब नीति में ठेकों के आवंटन का मामला उठाते हुए सरकार पर कथित भ्रष्टाचार और घोटाले का आरोप लगाया। इस मामले पर सदन में पक्ष और विपक्ष के बीच तल्खी भी हुई और मुख्यमंत्री सुक्खू के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्यों ने सदन में नारेबाजी भी की और फिर सदन से वॉकआउट भी किया।
विपक्ष के वॉकआउट पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने शराब के ठेकों से एक साल में 485.18 करोड़ रुपये की आय अर्जित की है, जबकि भाजपा सरकार के कार्यकाल में 665.42 करोड़ की ही आय हुई थी। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष से पूछा जाना चाहिए कि घोटाला कहां हुआ है। इससे पहले विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि प्रदेश के पांच जिलों में शराब के ठेकों की नीलामी की रिजर्व प्राइज से कम की बोली लगी है। उन्होंने आरोप लगाया कि शराब के ठेकों की नीलामी में घोटाले मिलीभगत से हुए हैं। उन्होंने ठेकेदारों को लाभ देने के लिए रिजर्व प्राइज से कम ठेके देने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार के संरक्षण में सुनियोजित तरीके से यह कथित घोटाला हुआ और उन्होंने सरकार से इसकी न्यायिक जांच की मांग की और शराब के ठेकों की दोबारा से नीलामी किए जाने की बात कही।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जब से उनकी सरकार सत्ता में आई है तबसे सरकार पारदर्शिता से काम कर रही है। उन्होंने पूर्व की भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जब इनकी सरकार सत्ता में थी तो खजाने को लुटाया गया। इनके कार्यकाल में चार साल तक ठेकों को नीलामी नहीं की गई और सिर्फ लाइसेंस को रिन्यू किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इनके पांच साल के कार्यकाल में ठेकों से 665.42 करोड़ की हुई आय हुई, जबकि उनके एक साल के कार्यकाल में शराब के ठेकों की नीलामी से सरकार ने 485.18 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब के ठेकों की नीलामी पूरी पारदर्शी तरीके से की गई है। उन्होंने कहा कि ठेकों के आवंटन के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया को अपनाया गया और कोई भी पक्षपात नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस साल नूरपुर और ऊना में सात-सात बार ठेकों की नीलामी की गई। चंबा में 6, कांगड़ा में 8, शिमला में 9 बार ठेकों की नीलामी की गई है। उन्होंने कहा कि इससे सरकार को अच्छी आय होनी की उम्मीद है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश व्यवस्था परिवर्तन से आत्मनिर्भर की ओर जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा पारदर्शिता उनकी सरकार का मुख्य अंग है।
उधर, रणधीर शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बड़ी चतुराई से अपनी बात को रखा है, जबकि हकीकत यह है कि शराब के ठेकों के आवंटन में 100 करोड़ रुपए के आय में कमी हुई है। इसमें उन्होंने बड़े घोटाले का आरोप लगाया। रणधीर शर्मा ने कहा कि मिलीभगत से इसके टेंडर काॅल किए गए और इसकी जांच किए जाने की मांग की गई। रणधीर शर्मा ने सरकार के ध्यान में लाया कि प्रदेश में कई ठेकेदार शराब की ज्यादा कीमत वसूल रहे हैं। ऐसे ठेकेदारों पर उन्होंने सख्त कार्रवाई करने की मांग की। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब की ज्यादा कीमत वसूलने पर सरकार ने 25 हजार रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक जुर्माना वसूलने का प्रावधान किया है।
इस बीच, मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्य अपनी सीटों से उठे और ठेकों की नीलामी की प्रक्रिया की न्यायिक जांच की मांग करने लगे और नारेबाजी कर वे सदन से बाहर चले गए।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा