कोलकाता, 29 अगस्त (Udaipur Kiran) । आज जब बांग्लादेश में उथल पुथल मची है तब एक बार फिर उस तारीख की यादें ताजा हो गई हैं जब 1971 के युद्ध में मुक्ति वाहिनी के गुरिल्ला योद्धाओं ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। भारतीय सेना के पूर्वी कमान ने गुरुवार को एक अखबार की कतरन एक्स पर शेयर की है। यह 26 अगस्त 1971 से शुरू हुए नोआखली युद्ध की रिपोर्टिंग से संबंधित है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक नोआखली में सोनामुरी रेलवे स्टेशन और एक महत्वपूर्ण रेलवे पुल को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया था। उसी दिन सिलहट के कुलाचार डाकघर पर भी गुरिल्ला योद्धाओं द्वारा हमला किया गया, जिसमें सभी दस्तावेजों को जलाया गया और इमारत को नुकसान पहुंचाया गया। इसमें बताया गया है कि करीब एक पखवाड़े के दौरान मुक्ति वाहिनी के गुरिल्लों ने नोआखली जिले में अलग-अलग झड़पों में लगभग 300 पाकिस्तानी सैनिकों, रज़ाकरों और उनके सहयोगियों को मार गिराया। इन घटनाओं के चलते पाकिस्तानी सैनिकों में डर का माहौल बन गया था।
पूर्वी कमान ने जो कतरन शेयर की है उसमें इस बात का जिक्र है कि एक तरफ मुक्ति वाहिनी लड़ रही थी और दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन की विभिन्न इकाइयों ने तत्कालीन राष्ट्रपति याह्या खान को 100 से अधिक टेलीग्राम भेजकर शेख मुजीबुर रहमान की रिहाई की मांग की। कोलकाता में आयोजित एक बैठक में रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रोमा चौधरी की अध्यक्षता में मुजीब की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक शक्तियों से अपील की गई।
ब्रिटिश लेबर सांसद पीटर शोर, जो नई दिल्ली से कोलकाता पहुंचे थे, ने तब कहा था कि मुजीब का मुकदमा पाकिस्तान के लिए अपमानजनक है। कलकत्ता विश्वविद्यालय लॉ कॉलेज स्टूडेंट्स एसोसिएशन (हजरत यूनिट) ने बांग्लादेश के समर्थन में 1,001 रुपये का दान दिया था।
उल्लेखनीय है कि इंडियन आर्मी के पूर्वी कमान ने लगातार सोशल मीडिया के जरिए सेना के बेहतरीन कार्यों को शेयर करने का सिलसिला शुरू किया है। इसे बड़े पैमाने पर लोगों का समर्थन भी मिल रहा है।
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(Udaipur Kiran) / ओम पराशर