Chhattisgarh

राष्ट्रीय खेल दिवस पर दिव्या-रजनी का होगा राजधानी रायपुर में सम्मान

राजस्थान में सन 2023 में आयोजित कार्यक्रम के समापन के दौरान मेडल लेकर खड़ी हुई रजनी जोशी।
कुश्ती प्रतियोगिता के समापन पर मेडल लेकर खड़ी हुई दिव्या भारती।

धमतरी, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय खेल दिवस पर धमतरी जिले की कुश्ती खिलाड़ी दिव्या भारती व दिव्यांग जूडो खिलाड़ी रजनी जोशी का राजधानी रायपुर में सम्मान किया जाएगा। दिव्या भारती व दिव्यांग जूडो खिलाड़ी रजनी जोशी ने संघर्ष और मेहनत से यह मुकाम बनाया है।

ग्राम भानपुरी की कुश्ती खिलाड़ी दिव्या भारती ने बताया कि वे सन 2014 से कुश्ती खेल रही हैं। आज भी इस खेल में वे प्रतिनिधित्व कर रही हैं। उन्हें इस खेल की प्रेरणा अपनी बड़ी बहन से मिली जो शुरू से यह खेल खेल रही थी। पहली बार उन्होंने कक्षा 10 वीं में कुश्ती खेला था। स्कूल गेम्स में आयोजित खेल में उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया। पहले धमतरी से कोच गांव में अभ्यास कराने आते थे बाद में उन्होंने धमतरी में ही अभ्यास करना शुरू किया। अलसुबह चार से सात बजे तक लगातार अभ्यास करते थे, इसी तरह शाम छह से साढ़े सात बजे तक पुनः अभ्यास करते थे। इसके बाद उन्होंने ओपन गेम्स में भाग लेना शुरू किया। छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए सन 2014 से अब तक 17 राष्ट्रीय स्तर के मैच खेले हैं। उन्होंने बताया कि वे उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्य में भी अपना प्रदर्शन कर चुकी हैं। इस खेल में उन्होंने उन्हें चार बार छत्तीसगढ़ शेरनी का खिताब भी मिला है। ओपन मिट्टी दंगल राष्ट्रीय में तीन पदक भी उन्हें प्राप्त हुआ है। सन 2017 से 2024 तक लगातार आठ बार सीनियर नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता में आठ बार छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतिनिधित्व किया है। इसी वजह से 2023_24 में शहीद पंकज विक्रम सम्मान के लिए भी इनका चयन किया गया। वर्तमान में वे ग्राम झिरिया में रहती हैं। माता-पिता एवं पति एवं ससुराल वालों ने भी उनकी खेल को हमेशा सपोर्ट किया। उनके कोच एवं छत्तीसगढ़ राज्य कुश्ती संघ के सभी पदाधिकारी ने हमेशा इनका उत्साह वर्धन किया है। खेल को प्रोत्साहित करने में उनके पति गोविंद साहू भी प्रेरित करते हैं, इसी वजह से उन्हें यह सम्मान मिल रहा है। उन्होंने सभी का आभार माना है।

पैरा जुडो खेल में स्वर्ण पदक जीतने पर बढ़ा उत्साह : रजनी जोशी

रजनी जोशी ने बताया कि सन 2016 में जब उनके गांव में दिव्यांग बच्चों की संस्था एक्जेक्ट फाउंडेशन दिव्यांग आवासीय प्रशिक्षण केंद्र खुला, तब वे वहां पढ़ाई करने के लिए गई, तब वहां की शिक्षिकाओं के माध्यम से पता चला कि हम जैसे दिव्यांगों का भी खेल होता है। पहली बार उन्होंने शिक्षिकाओं के साथ में राज्य स्तरीय पैरा जुडो खेल में भाग लिया, जिसमें मुझे प्रथम बार में ही स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ। उसके बाद गुड़गांव में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ, वहां भी मुझे स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ, तब से जुडो खेलना मेरा पैशन बन गया। उसके बाद उन्होंने कई स्थानों में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया, जैसे हैदराबाद, कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर, राजस्थान। एमए प्रीवियस की छात्रा ने बताया कि उनका राष्ट्रीय स्तर पर छह पदक है। इस मुकाम तक पहुंचने में सहयोग करने वालों के प्रति आभार व्यक्त किया है। संस्था की लक्ष्मी सोनी मैम, शशि निर्मलकर मैम, रूबी कुर्रे मैम ने काफी सहयोग किया।

(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा

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