नई दिल्ली, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डीपफेक टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने पर विचार करने का आग्रह किया। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह एक वैश्विक समस्या है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। मामले की अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को तीन सप्ताह के भीतर अन्य देशों द्वारा अपनाए गए तरीके और उदाहरण वाले विस्तृत सुझाव शामिल करने को कहा। इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी इस पर सुझाव देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि डीपफेक वीडियोज का उपयोग दवाओं की बिक्री या धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है और ऐसे वीडियोज में डिस्क्लेमर नहीं होता है।
पहले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा था कि केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारी इस मामले पर विचार कर रहे हैं। हाई कोर्ट ने 04 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिका वकील चैतन्य रोहिल्ला ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील मनोहर लाल ने डीपफेक और एआई का एक्सेस देने वाली वेबसाइटों को ब्लॉक करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि डीपफेक और एआई टेक्नोलॉजी को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाए। याचिका में कहा गया है कि एआई टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण संविधान के मुताबिक होने चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि एआई टेक्नोलॉजी की परिभाषा तय होनी चाहिए। एआई और डीपफेक टेक्नोलॉजी किसी की निजता के हनन के लिए नहीं होना चाहिए और इसका दुरुपयोग रोकने के लिए दिशा-निर्देश तय करने चाहिए क्योंकि डीपफेक जैसी टेक्नोलॉजी से किसी की छवि को खराब किया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान कार्यकारी चीफ जस्टिस ने कहा कि टेक्नोलॉजी का काफी महत्व है और यह कई मायने में हमें सहयोग करता है। इसलिए टेक्नोलॉजी से निपटना आसान नहीं है। सभी पहलुओं पर गौर करते हुए संतुलन कायम करने की जरूरत है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि एआई और डीपफेक टेक्नोलॉजी को लेकर केंद्र सरकार दिशा-निर्देश तैयार कर रही है। सरकार इसके दुष्परिणामों से वाकिफ है और वो निपटने की कार्ययोजना पर काम कर रही है।
(Udaipur Kiran) /संजय
(Udaipur Kiran) / वीरेन्द्र सिंह