नई दिल्ली, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । राऊज एवेन्यू कोर्ट के एडिशनल चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट निशांत गर्ग ने ओल्ड राजेंद्र नगर की आईएएस कोचिंग को खोले जाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि कोचिंग का परिसर 9 जुलाई तक बिना फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट तक चल रहा था। ये भी साफ नहीं है कि बिना फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के 2021 में ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट कैसे मिल गया था। किस आधार पर 9 जुलाई को फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट मिला, यह भी स्पष्ट नहीं है। इसी कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से तीन छात्रों की मौत हो गई थी।
सुनवाई के दौरान कोचिंग सेंटर के सीईओ अभिषेक गुप्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि हम बिल्डिंग में कोचिंग शुरू करना चाहते हैं, ताकि छात्रों की पढ़ाई जारी रह सके। जॉन ने कहा था कि सीबीआई बिल्डिंग को सील नहीं कर सकती, क्योंकि ये दूसरी सिविक एजेंसियों का काम है। सीबीआई कोचिंग संस्थान के मालिक पर मुकदमा चला सकती है लेकिन उन्हें काम करने से नहीं रोक सकती है। फायर सर्टिफिकेट को देते समय नगर निगम और और दिल्ली फायर सर्विस ने जब 1 जुलाई को मौके का मुआयना किया तो इसका ध्यान नहीं रखा कि बेसमेंट में लाइब्रेरी चल रही है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली नगर निगम और दिल्ली फायर सर्विस के अधिकारियों की भूमिका की अभी जांच की जानी है। ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता है कि केवल बेसमेंट ही जांच का विषय है बल्कि कोचिंग के दूसरे फ्लोर भी इससे जुड़े हैं और उनकी जांच जरूरी है।
सुनवाई के दौरान सीबीआई ने जॉन की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि बेसमेंट का इस्तेमाल स्टोरेज के लिए किया जाना चाहिए। लाइब्रेरी चलाने की वजह से ही इतना बड़ा हादसा हुआ है। सीबीआई ने कहा कि बिल्डिंग में सुरक्षा के उपाय नहीं किए गए हैं। कल फिर से कोई दुर्घटना भी घट सकती है। सुनवाई के दौरान इस हादसे के एक पीड़ित की ओर से पेश वकील अभिजीत आनंद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उस बिल्डिंग में कोचिंग सेंटर नहीं चलाया जा सकता है, जहां कोई सुरक्षा के उपाय नहीं हों।
हाई कोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। दिल्ली पुलिस ने 29 जुलाई को कोचिंग सेंटर के चारों सह मालिकों और थार चालक को गिरफ्तार किया था। 28 जुलाई को कोचिंग के मालिक अभिषेक गुप्ता और कोआर्डिनेटर देशपाल सिंह को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में सात आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है। तीस हजारी कोर्ट ने थार चालक मनुज कथूरिया को जमानत दे दी थी। इस मामले के चार सह आरोपित अभी न्यायिक हिरासत में हैं। चारों की जमानत याचिका पर राऊज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा हुआ है।
दिल्ली पुलिस ने बिल्डिंग मैनेजमेंट, सिस्टम की देखरेख करने वाले निगमकर्मियों और दूसरे आरोपितों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 105, 106(1), 115(2), 3(5) के तहत केस दर्ज किया है।
(Udaipur Kiran) /संजय
(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम